अफ़सोस ——डी. के. निवातिया डी. के. निवातिया 07/12/2016 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 14 Comments लुटाकर हर ख़ुशी उम्र भर रो सकता हूँ मैंएक सिर्फ तुझे हँसाने के लिये ,अश्को के सागर में खुद को बहा सकता हूँ मैंतेरे कपोलो के गुल खिलाने के … [Continue Reading...]