Author: yuvakavirajat
…………चिता जलाना बन्द भी हो……….. रचना :- अवधेश कुमार मिश्र रजत आतंकवाद पर नित नए अब ये राग सुनाना बन्द भी हो। रोज खुदे ना कब्र नई हरदिन चिता …
भटक गए थे जो………. रचना :- अवधेश कुमार मिश्र रजत भटक गए थे जो उनको पुनः घर वापस ले आओगे। कुलघाती जो घर भीतर हैं उनको कब समझाओगे।। हर …
इक धूल जमी थी आँखों पर………. रचना :- अवधेश कुमार मिश्र रजत इक धूल जमी थी आँखों पर, इक झटके में ही छट वो गई। शामिल थे कल गम …
शम्मा नहीं जलाऊॅगा…… रचना :- अवधेश कुमार मिश्र रजत मासूमों की मौतों पर अब शम्मा नहीं जलाऊॅगा। तख्ती लेकर हाथों में कोई राग नया ना गाऊंगा।। सदियों से हम …
हर इल्जाम अपने सर लेने को तैयार हॅू, मैं सच बोलता हॅू इसलिए गुनहगार हॅू । हाँ मैं गुनहगार हॅू ǃǃ हाँ मैं गुनहगार हॅू ǃǃ आज के दौर …
अजब गजब का खेल दिखाये फेसबुकिया संसार अजब गजब का खेल दिखाये फेसबुकिया संसार, एक से बढ़कर एक लिखें अपने लोग विचार। कोई सन्त बना कोई करे देशभक्ति की …
नदी जब चीरकर छाती पहाड़ों की निकलती है, टकराकर वो चट्टानों से फिर थोड़ा सम्भलती है। किसी नवजात बच्चे ने लिया हो जन्म जैसे कि, हर्षित हो बड़े ही …
संस्कारों की पावन चुनर रचना :- अवधेश कुमार मिश्र “रजत” संस्कारों की पावन चुनर ओढ़कर, लाज खुद आज दुल्हन बनी है यहाँ। रूप बगिया को यूँ सामने देखकर, प्रियतम …
यॅूं तो इक नाजुक सी फुलों की वो डाली है ……………… रचना :- अवधेश कुमार मिश्र रजत यॅूं तो इक नाजुक सी फुलों की वो डाली है। आँखों में …
तंग आकर उनकी बेवफाई से …………………… रचना:- अवधेश कुमार मिश्र “रजत” तंग आकर उनकी बेवफाई से पीछा छुड़ा लिया मैंनें, सर पर चढ़ कर जो बैठे थे उन्हें आज …