Author: Vivek Singh
क्षितिज की उस ओर….. शिखर का अंत……………….अथवा नभ का एक छोर।। यही खोज है………………….अथवा उद्देश्य जीवन का… सोचता रहा हूँ खड़ा इस ओर… विस्मय में हूँ कि मैं आरम्भ …
यादों को ढो रहे हो, थकान तो होगी। सीने में उफान, आंखों में नमी , पर मन मे कहीं मुसकान तो होगी। मत ढोवो उनको, बस नदिया सम प्रवाहमयी …
पूरा करने कमी को अपनी, मानव चलता तो हैआवेग की ऊष्मा से कभी पिघलता, सांचे में ढलता तो हैएक निशान तो रहना चाहिए समय का, फौलाद के जिस्म परदेखकर …
जीविका और जीवन की खींचतान में से,आत्मश्लाघा व आत्मसम्मान में से,व्यापक चाटुकारिता और अल्प स्वाभिमान में से,मैं तो विकल्प को संकल्प कर चुनूँगा ।।द्रुत-धनवान और पुष्ट खानदान में से,ठंडे …
कोस कर प्रारब्ध के होना कभी हताश मत ।परास्त के आयुध में बस दृढ़-कर्म नहीं होता ।। धनुर्धर अर्जुन के कौशल से ईर्ष्या मत कर हे कौरव ।ज्ञात हो …
आज विश्वास बोल रहा हैे, अच्छा लग रहा होगाक्योंकि माज़ी की यादों का घमाघम हो रहा है।पर सोचकर कि न जी पाएंगे उस रुत को कभी अबयहां दिल का …
तुम तुम ही हो तुम ही तुम रहोगी…. क्योंकि हे शक्ति रूपा तुम ही तुम हो सकती हो। तुम तुम हो। तुम ही तुम रहोगी।। ———————————————- तुम नहीं तो …
साँसों की हौली सरसराहट,पेशानी पर शांत पसीने की चमक।दिमागी उधेड़बुन की ख़ामोशीरगों में खून की रवानी की धड़क।।कुछ खामोशियां, तो कुछ शोरज़रूरी होते हैं बताने के लिएकी हम हैं…. …
आगाज़ किताब का हुआहमसे….मजमून भी हम,मुकम्मल भी हमसे ही हुई कहानी…..खूबसूरत अंजाम के लिए हमारा होना ज़रूरी था। Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые …
मेरी याद्दाश्त पर इतना यकीन क्यों है तुझे, खुदगर्ज़ हूँ,अपना कहा भी भूल जाता हूँ। कोई मजबूरी नही रोक सकती वादा निभाने से, बस यूँ है कि वादाखिलाफ …
चिड़िया सी ही होती हैं लड़कियां, तभी तो चहकती हैं I उसी मीठी चहक से तो मायके की, सब वीथीयां महकती हैं II दे देती हैं अपने पर, मायके …
नीलाम करके खुद्दारी को जो पायी है हमने बदले में I उस ‘हैसियत’ का ही शोर है जो सुकून आने नहीं देता II या यूँ , कि मिटाए नहीं …
आज खुशी तन को हिलोर रही थी और मन… मन ताल दे रहा था ये अपनापन था, सरलता थी आप सबकी जो सबको उमंग और उछाल दे रहा था …
आज मैं हिंदी में ‘कलाम’ लिखता हूँ उर्दू आती नही पर दिल-से-सलाम लिखता हूँ I होती होगी आप जैसी ही कुरान की आयत इसीलिए पुरज़ोर और पुरशान लिखता हूँ …
खुश्बू देना ही मकसद है मेरे वजूद का—- तुम तो बस मुझे तोड़ लेते हो और जूड़े में सजा लेते हो. हद है तुम्हारे प्यार की ….. मेरी जान …
जब जब इतिहास छुपाया जाता है, तब तब कोई गौरव मिटाया जाता है II जब मिथ्या के बल कुछ हथियाया जाता है, तब एक सत्य झुठलाया जाता है II …