Author: PATHAK JEE
मै हर रोज सोचता हूं के नहीं लिखूंगा उसे अपनी शायरी में। हटा दूंगा उसे दिमाग से अपने। मिटा दूंगा उसे ख्यालों से अपने। मै अपने कलम कि …
एक शोर है मेरे भीतर जो कचोट रहा है मेरे मन मेरी आत्मा को हर पल नोच रहा है सवाल हैं कुछ जो परेशान कर रहे हैं दिल, …
तेरे इंतजार में हर वजह बेवजह हो गई तेरे इंतजार में जागने की मर्ज़ हो गई ना खत, ना तार, ना टेलीफोन आया तारों की छांव में विदाई …
निकल पड़ता हूँ राह में चिलचिलाती धूप में, घनघनाते मेघ में सपने आँखो मे लिये किस्से कुछ कहे, अनकहे मै बढ रहा हूँ एक वेग से रास्ता …
तुम तो जाओ जहां तुमको जाना है हमसे ना मिलने का नया बहाना है ऐसा क्या कह दूं मै, जो तुम रुक जाओ चले जाना मगर, कैसे …
कई राज दफन है उस रात में कई एहसास दबे हैं तेरी बात में उस सुगबुगाहट में तेरी फुसफुसाहट में कई राज दफन हैं जो कहा था …
खंडित होने का अर्थ है, किसी वस्तु विषय के प्राकृतिक रूप में कोई त्रुटि आ जाना, उसका पहले जैसा ना रहना। मूर्ति पूजन में यदि किसी भी …
अगर मै प्रधानमंत्री होता! भारत का प्रधानमंत्री, ये कथन ही गौरव से परिपूर्ण और अत्यंत मनमोहक है। एक ऐसे सपने का सच हो जाना जिसका विश्लेषण कर पाना भी …
आज भी जब मै घर से निकलता हूं और उनके शहर से गुजरता हूं, ऐसा लगता है मानो किसी साए की तरह वो मेरे साथ साथ चल पड़ी हैं। …
चिलचिलाती धूप में गाजियाबाद के ट्रैफिक जाम में लगभग 1 घंटे से ज्यादा खड़े होने के बावजूद मेरे माथे पर कोई शिकन या कोई शिकायत नहीं थी …
काली अंधेरी रात, आसमान में कड़कड़ाती हुई बिजली के साथ मूसलाधार बारिश और पेड़ को जड़ से उखाड़ देने वाली आंधी चल रही थी। वरुण घर के बरामदे में …
न जाने क्यूं इतनी घबराहट हो रही हैशायद तुम्हारे दूर जाने की घड़ी नजदीक आ रही है 😞बेबस हूं सूखे पत्तों सा मैबहुत रही हरियाली, फिर वही पतझड़ कि …
तु ख्वाबों में भी दूर जाती है तो डर लगता है ज़रा ज़रा सी बात पर जो रूठ जाती है तो डर लगता है मेरी बेचेनियों का कुछ यूं …
तीन रंग का तिरंगा है पर 5 रंग देखें मैंने तिरंगे में एक रंग तो केसरिया है देश की शक्ति और साहस का एक रंग श्वेत भी है जो …
तेरी नाराजगी,मेरे अल्फ़ाज़ भी नहीं मिटा पातेहम चाहते हैं कितना तुझको यह मेरे आंसू भी नहीं बता पातेघड़ी घड़ी रह रह कर देखता हूं मैं उन्हीं बीरान सड़कों कोजिन …
कितने प्यारे फूल खिले हैंमेरे घर के आंगन मेंकल कोई अजनबी तोड़ चलेगाबांध रस्मो के बंधन मेंवह कली जो अब महकने लगी हैखुशियों से चहकने लगी हैछोड़ कर मुझको …
एक सख्स है जो नाराज भी नहीं हैमगर पहले जैसा भी नहीं हैगुमसुम सा हैकुछ कहता भी नहीं हैमैं पूछूं भी तो क्या पूछूं उससेमुझे पूछने का कुछ हक …
बड़ी खूबसूरती से हम बटते जा रहे हैंअफसोस हम कटते जा रहे हैंये फासले एक दिन खाई बन जाएंगेवो दिन भी दूर नहीं हम कसाई बन जाएंगेबनकर तो आए …
दिल तुम धड़कते क्यों नहींइतना हसीन मौसम है तुम बहकते क्यों नहींजो फूल मुरझा कर झुक गए हैं नीचे की तरफ ये महकते क्यों नहीबड़े उतरे उतरे से लगते …
गुजारिश है तुमसे…कि तुम कभी लौट कर मत आनाबस जहाँ हो वहां से यु ही मुस्कुरानाअब जो सीख लिया है जीना तुम्हारे बिनलौट कर वापस अब ना सतानातुम उस …
क्या कभी मस्जिद से निकलते काजी ने पूछा है ,कि जिस पर उसने फूंकावह हिंदू है या मुसलमान थाक्या कभी मंदिर के पुजारी ने प्रसाद देते हुए पूछा हैकि …
हद होती है…यू लड़ने कीहर बात पर बिगड़ने कीछोटी-छोटी बातों पर नाराज होकरफिर मुझ पर ही अकड़ने कीबड़ी बखूबी से तुम ज़ज्बात अपने छुपा लेते होदर्द दिल में समा …
कोयल की कूँ कूँकोये की कांवबरस रहे बदराझूम उठे है गांवखेतो में मोरपानी में मेंड़कअंधेरा छाया आसमा मेंपर हर कली है जगमगघूम घूम बदरा घनघोरमोर नाच रहे चारो ओरइन्द्रधनुष …
जिन्हें रोटी दो वक्त की ना मिली होवो 2 गज जमीन को लड़ते हैंघर की छत का पता नहींवो औरत के लिबास को लड़ते हैंकोई हिंदू तो कोई मुस्लिम …