घना कोहरा VINOD KUMAR CHAUHAN 17/04/2014 विनोद कुमार चौहान No Comments आँखें गढ़ा कर देखता हूँ कुछ साफ नज़र नहीं आ रहा , देखने की तमाम कोशिशें बेकार हैं क्योंकि सामने तो कोहरा ही कोहरा है । कुछ हल्का ,फीका, … [Continue Reading...]
सवालों का भंवर VINOD KUMAR CHAUHAN 15/04/2014 विनोद कुमार चौहान No Comments ज़हन में सवाल हैं कई बस जबाव ढूंडता हूँ , गणित के नहीं ,विज्ञान नहीं, ज़िंदगी के अहम सवाल हैं, मिल जाएँ सारे जबाव , बस ऐसा कमाल ढूंडता … [Continue Reading...]