Author: vinay kumar
मन मे कुछ उम्मीद जगे है, नई राहो पर कदम बढे़ है, सफर कि अभी शुरूआत हुई है, मंजिल से न मुलाकात हुई है, मेरा मन हि मेरा गुरू …
रोशनी मे वह आती है, अंधेरे मे खो जाती है, कुछ कहना चाहती है , पर कह ना पाती है, याद वह फिर से आई , मेरी परछाई- मेरी …
-साहसी जान मुझमे है एक साहसी जान ़ हर लक्ष्य हो जो करे आसान ़ किसी भी डर से वह ना डरे ़ किसी भी हार से वह ना …
षीर्शक- मंजिल पथ पर बढ़ मंजिल पथ पर बढ़ , ओ साथी मंजिल पथ पर बढ़, तू अकेला है इस राह मे , कोई नही है तेरी चाह मे, …
मंजिल पथ पर बढ , ओ साथी मंजिल पथ पर बढ ! तु अकेला है इस राह मे, कोई नही है तेरी चाह मे, गुमशुदा न होना जहाँ मे, …