Author: विनय भारत
अजब हो रही है…गज़ब हो रही हैअजब हो रही है गज़ब हो रही हैदेखूँ तुझे तो गज़ल हो रही हैतेरा यूँ लटोँ को लपकना झटकनामेरा यूँ तेरे पीछे दर …
दूसरा पिता वृक्ष……………………….. काव्य विनय भारत शर्माजबलगाया था उसे कहाँ पता थाआज होगा बड़ाइतना देगा फल फूलपात्तियाँकाशदादा होते आजदेखकरउसे कहते”बड़ा हो गया है मेरा बेटा”कितनी ही मेहनतसे लगाया थाउन्होंनेये सपनाचिलचिलातीधूप में देकर पानीबचाई उसकी जानदिया था …
दिल की गली में हलचलों का नाम आहटें दिल की गली का जब कोई दरवाजा खुलता है चितचोर कोई चोरी करने दिल में घुसता है आंखों के रस्ते सीधा …
9 माता की गोद में जब जब पुत्र किसान के आंसू होंगे तब तब शेषनाग की सांसों के परवाने होंगे बेटे बेटे ही जब जब राजनीति का ताना बाना …
6 Chal be bhag yahan se Main Rone bala nhi Ja uski aankhon me jakar barash Jo mujhe chhodakar. Chali gayi Kavi Vinay bharat 7. Tum sirf meri ho …
1. Teri meri kahaniyonke pnne ud chale aakash me Ya to honge ve amar Ya milenge phhir itihas me Kavi vinay 2. Teri saheli itni batuni h or tu …
चल मेरे मीत चल कहीं गुनगुनाएँ आजा आज हम एक दूजे के हो जाऐं आज हम 12 बजे प्रेम गीत गाऐं चल माय डियर न्यू ईयर मनाऐं न्यू ईयर …
नीरज यानि ‘कमल’ और कमल कीचड में ही खिलता हैं ! ‘कीचड’ से याद आया कीचड हमारे घर के सामने वाले रास्ते पर बहुत रह्ता है और ‘रास्ता’ तो …
मेरी शादी का कार्ड – ( हास्य व्यंग्य) बुलाता हूँ मैं उन गणपति जी को जो करते हैं सभी का कल्याण! आयें गणपति हमारी इस शादी में, सभी देवों …
बोरियत जिन्दाबाद- (हास्य-व्यंग्य) बोरियत ………… बोरियत………. बोरियत……….. कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि इस बोरियत नामक शब्द को जीरो से गुणा कर दूं। पर फिर सोचता हूं कि ये …
मैं हूँ बैग, आपने रोज मुझे सड़कों पर आते-जाते बच्चों के कंधों पर लटका देखा होगा। मेरी जिन्दगी की कहानी बड़ी दुखभरी हैं। मैं सुबह जल्दी उठता हूँ और …
‘‘हम ईमान बेचते हैं” जी हाँ ,आपके कान गलत नहीं सुन रहे हैं यदि आपको विश्वास नहीं हैं तो आपकी कसम, हम वास्तव में बेचते हैं। क्या कहा… सुनाई …
हास्य व्यंग्य – फेल होने के फायदे फेल होना एक कला है, फेल होना कोई आसान काम थोडे ही है, फेल होने के लिए अपने मन को मनाना पड़ता …
‘‘वैशाख का सूरज” (हास्य व्यंग्य) गधा अर्थात् वैशाखनंदन या यूं कहें तो वैशाख का चमकीला सूरज, ऋतुप्रेमी, सीधा साधा मूक सा जानवर। गधे की जितनी प्रशंसा करें उतना कम। …
एक कवि सम्मेलन में ( हास्य-व्यंग्य) हमारा कुलटा भाग्य कहें या सुलटा भाग्य कि हमें एक कवि सम्मेलन का स्नेह भरा आमंत्रण मिला। देखने में आमंत्रण कम किसी डाकू …
क्यूँ इस कदर हमसे नाराज़ होती हो क्यूँ हमे रुलाकर यार तुम सर्कार होती हो हम तो पहले से ही यार तुम्हारे थे तुम्हारे हैं हमे यूँ कसमे खिलाकर …
तुझे छूकर हवा मेरे पास आई लगा जैसे तुम ही यूँ छूकर गए मुझे … …………………………………………………………… 2. तुझे मानना तो आता हैं मेरे दोस्त मुझे पर सोचता हूँ तुझे …
फूलों से कर रहे हैं स्वागत हम तुम्हारा हमारे यहाँ पधारे अहसान है तुम्हारा आप यहाँ पधारे महकी हमारी बगिया आशीष से तुम्हारे कार्यक्रम सफल हमारा कवि विनय
स्वागत में आपके हम मार्ग सजाने आए हाथों में हम हमारे फूलों की माला लाये विशिष्ट हो हमारे सम्माननीय तुम हो तुम्हारे स्वागतम में पलकें विछा के आए कवि …
मेरे पुत्रों मेरे प्रपौत्रों मेरे आने बाली पीढ़ी के रिश्तेदारों और वे लोग जो जानते हैं मेरे बारे में थोडा कुछ उन सभी से कहता हूँ मैं मेरे जाने …
एक पार्टी में वे बोली यार हम लड़कियां इतना फैशन करती हैं फिर भी साधारन ही दिखती हैं तुम लोग कुछ नही करते फिर भी हैंड्सम दीखते हो आखिर …
देखता हूँ कि तुम मुझे चाहती तो हो मानता हूँ कहने से डरती भी हो तुम जानती हो शायद मैं करता हूँ लेकिन कहेंगे कब हम एक दूसरे से …
कहने दो उन्हें कि हम वेबफा निकले वो इस बहाने हमे भूल तो जायेंगे हम उन्हें अपना नही बना सके तो क्या हुआ वे किसी और को तो मेरी …
वो कहते हैं अकेले हैं वो क्या जाने अकेलापन हमारे साथ नही कोई उनके साथ हम तो है कवि विनय भारत
साथ देने की बात किया करते हैं वो हमे इगनोर किया करते हैं हम तो चाहते थे उनको दिल से मगर वो रोज हमे भुला दिया करते हैं