Author: tamanna
ना पूछो किस तरह से रोशन है दिल की ये दुनियाकैसे नाज़ो गम उठाये है इस दिल ने अभीसुकून अभी तो आना शुरू हुआ भी ना था दिल कोतू …
जय हिन्द लो फिर शहीद हो गया मैं मेरे देश की माटी पर हुआ फना फिर किसी आतंकी ने मुझे घेरा फिर से मुझे गहरी नींद में सुला दिया …
औरत मेरे पास चले आओ ….. जो दुखी तुम खुद से हो फंसे हुए अँधेरे मे हो आँखों में अगर नमी सी है सांसो मैं भरी बेकरारी है मेरे …
तेरी खुशियो को मेरी जान का सदका हर मज़हब को मेरी सांस का सदका कुर्बान किया जिस खुदा के लिए मुझे उस खुदा को भी मेरे ईमान का सदका …
— तुम सब खुश हो बहुत की में बेजुबान हूँ यहाँ तुम्हारा न सही , पर दिल बेचैन है बड़ा मेरा भी यहाँ तुमने बनाया एक रिवाज़ को इबाबत …
हमने तो फ़क़त चंद लम्हे मांगे थे ज़िंदगी के ज़ालिम ने कातिलाना हंसी उछाल दी मेरी तरफ क्या पता था जो हंसी उछाली थी उसने मेरी तरफ वो तो …
“तुम मुख़ातिब भी हो, क़रीब भी हो तुमको देखें कि तुम से बात करें” तुम सोच भी हो और ख्वाभ भी तुमको ढूंढे या तुमको याद करे बड़े वक़्त …
कौन कहता है ज़माने में वफादारी नहीं हिम्मत है अगर मुझ में तोह कोई गदारी नहीं कैसी भी राह बनायीं गयी हो मेरे लिए ……. मैं हूँ सिपाही , …
मैं कब तेरी आंखे बनना चाहती हूँ वो तो सबको देखा करती है ….. मैं तो तेरी धड़कन भी नहीं बनना चाहती वो तो सबके लिए धड़का करती है …
तू नाज़ुक सी , चंचल सी , हिरनी की तरह तेरी ज़ुबाँ मीठी है बहुत मिश्री की तरह … मेरे मन में तेरी मूरत सज गयी ऐसे.. जैसे तू …
बड़ी बेकरार सांसो को लिए .. में देख रही थी उस चाँद को .. कहते है सभी, जो मैंने सुना था वह चाँद भी बहुत से दागो से घिरा …
— बातों में तल्खियॉ देखी दिलों में बेचैनियॉ देखी जिस्म तो पास पास है मगर रिश्तों मे दूरिया देखि उूबे और थके हुये लोग दिखे चहरों पे उबासियॉ देखी …
इस भरी दुनिया में हम उन्हें कैसे ढूँढे जो गुम्म हो गए इस दुनिया की दुनियादारी में जो उड़ गए बन के खुशबू सकूं की तरह …. इन् आते …
मैं पत्थर भी नहीं , जो तेरी आँखों को न पढ़ सकूं मैं मसीहा भी नहीं , हर जख्म दिल का कबूल कर सकूं मैं तेरी नहीं है मुझे …
मेरे ख्वाबो के जंहा में बसने वाले रंगीन तितलियों के पंखो की तरह ऐ खामोश आँखों में छिपे अश्को मेरी सांसो ने तुम्हे ढूंढ ही लिया … कोई जरिया …
जिंदगी क्या है किसे पता सपना है कोई या फिर कोई प्रेम कथा तेरे पहलू में मुझे तोह बस जीना है बाकी दुनिया क्या है मुझे क्या पता तेरी …
चलो आज एक तमाशा और सही , मजहबी खून खराबा और सही , चाहे तुर्की हो या भारत महान कुछ नस्लों का खात्मा और सही , मुझे फर्क क्या …
तुझे भुला दिया ए ज़माने मैंने ,इस रंज भरी नगरी की खातिर तेरे प्यार भरे अफ़साने और वो बीते लम्हों के नज़राने …… अब तो खून ही मेरा धर्म …
यादो का गुलदस्ता लेकर , आई थी कल रात परी जादू सी थी आवाज उसकी , और बातो में थी मिस्री देख के उसको, मन का पंछी पंख फैलाए …
में पुराने यादो के कुछ पन्नो को , आँखे मीचे जब याद करूं दिल ही दिल में गुज़ारे लम्हों को , फिर से जीने की आस करूं कुछ खुशनुमा …
इतनी मुद्दत बाद मिले हो किन् सोचो में गुम्म रहते हो तेज हवा ने मुझ से पुछा रेत पे क्या लिखते रहते हो कौन सी बात है तुझ में …
छोड़ दो मुझे जाने दो , मेरे तमन्नाओ का जहां अभी बाकी है तेरे तिरिस्कार से छलनी इस जीवन में मेरे सपनो का ज़हा अभी बाकी है तेरी हैवानियत …
यादो का सफर भी अजीब होता है , कोई दूर होकर भी करीब होता है , दिल रो देता है उसे याद करके अक्सर जो हर पल इस दिल …
मुझे भी चाहिए गुड़िया , ये घडी और चॉक्लेट बढ़िया सुन्दर सा महल , मखमली सा बिस्तर और नया जूता मुझे भी चाहिए गुड़िया …………………………….. कोई नरमी नहीं मेरे …
आज हुई है सुबह चमकती , दिल भी मेरा खुश था बड़ा ताजा किरणों का झुरमुठ ले कर , निकली थी ये सुबह ज़रा मैं भी सज कर , …