Author: Shishir "Madhukar"
फूल वो सुख नहीं देता जिसकी खुशबू में खामी है तुम आगे बढ़ नहीं सकते अगर मन में गुलामी है भले कांटें अनेकों हैं महकते गुल की सोहबत में …
तुमसे खफा हो भी जाएं पर हम तुम्हारे रहेंगे मन जब करे लौट आना बांहें पसारे रहेंगे लहरों से तुम खेलते हो हमको तुम्हारी फिक्र है तुमपे नजर को …
हट गया है आंख से पर्दा सभी के प्यार का अब नजर आने लगा है झूठ सब संसार का जिंदगानी कुछ नहीं मुझ को समझ आया यही एक खेला …
तोड़ देना काश रिश्तों को बहुत आसान होता मन तनहा देखो हमारा फिर तो ना परेशान होता राहगीरों की खबर जो पूछ कर के जान लेते इस सफर में …
दर्द कोई पल रहा हो दिल में गर इंसान के फिर तुम्हें हरदम दिखेगा वो बिना मुस्कान के हर तरफ बिखरा पड़ा है घोंसला वो प्यार का दिख रहे …
कौन है जिसको यहां ना प्यार की दरकार है गर मुहब्बत ना मिले ये जिंदगी बेकार है जो अकेले चल रहे हैं मंजिलों की खोज में थक गए उनके …
अब याद आएगी तुमको फिर से हमसे सुलह की जब तक रहे साथ हम तुम चिंता नहीं थी फतह की जन्नत का कोना हो चाहे घर हो खुदा का …
मुद्दत हुई जब मिलोगे कुछ तो बताओगे मन की तुम्हें याद करनी पड़ेगी हर बात अपने वचन की सीने में कांटे गड़े हैं लेकन ना मैं रो रहा हूं …
यूं ही नहीं हम परेशां ये सब तुम्हारा असर है मिलना मिलाना हुआ है लेकिन अभी भी कसर है तुम दूर बैठे हो छुप के आते नहीं सामने अब …
अपनी क्या तुमको बताएं मुश्किल से दिन कट रहे हैं बिन तेरे लम्हें सुकूं के जीवन से नित घट रहे हैं जाने पसीजो के फिर तुम या यूं ही …
जी ना सके ए जिंदगी तुझको मलाल है क्या तुझे अब भी कोई मेरा ख्याल है थे बहुत मजबूत पर चोटें तो लग गईं पत्थर भी टूटते हैं जो …
इस जिंदगी के दौर में बस डर का राज है कल का कुछ पता नहीं सहमा सा आज है घर में कैद है सभी बचने के नाम पे बिन …
तुम सयाने हो गए हो अब समझ आने लगा आईना हमको तुम्हारे सच को दिखलाने लगा जिंदगी रूकती कहां है हो गया सो हो गया अब हमें खुद का …
एक बार गिर के नजर में कोई भी चढ़ता नहीं है फिर प्रेम आंखों में ऐसी कोई भी पढ़ता नहीं है तुम बात समझे ना मेरी दिल को हमेशा …
हर घड़ी तुझे ढूंढते हैं रूह की ये प्यास है तू बता कैसे कहें तुझ सा ना कोई खास है और कुछ मिलता नहीं तो खुद को समझाते सुनो …
जुदाई कब किसी को दर्द की दुनिया में लाएगी ये कुदरत जान लो तुम को कभी भी ना बताएगी मुहब्बत का यही है आईना संसार में सुन लो गैर …
मौत की नींद में तो एक दिन सब ही को सोना है बता इंसान फिर काहे को अपना चैन खोना है अरे उड़ने दे जो उड़ता है ऊंचे आसमानों …
तुमसे जुदाई लम्बी हुई है मिलने की फिर से कोशिश करो ना दुनिया तो ताने देती रहेगी इतना भी इससे सुन लो डरो ना मुद्दत से मेरी झोली है …
बंदिशें इतनी लगी हैं आ गई है जान पे कोई भी काबू नहीं कर पा रहा शैतान पे औरों की सोची नहीं अपना हित साधन किया मिल के अब …
अब दूर तुमसे रहूं मैं ये ही सही बात होगी अगले जन्म में ही देखो अपनी मुलाक़ात होगी गुजरा है बारिश का मौसम नभ पे भी बादल नहीं हैं …
खुशबू तुम्हारे बदन की रह रह के तंग कर रही है चुप्पी तुम्हारी सुनो पर मुझको तो दंग कर रही है मन में है तस्वीर तेरी यादों में तेरा …
तुझसे मिली है मुहब्बत तू ही मेरा मीत है सुनतू है अगर साथ मेरे हर चीज में जीत है सुन गाता हूं जिसको हमेशा मन में उमंगों को भर …
देखो तुम्हारी वजह से कुछ तो मुझे भी मिला है बंजर सी भूमि में दिल की महका कुसुम एक खिला है ये जिंदगी का सफर है कटता नहीं है …
माना कठिन समय है इंसान डर रहा है तेरी याद के सहारे हर दिन गुजर रहा है ना शोर है कहीं अब बैठे हैं सब घरो में हर चीज …
तुमको पुकारते हैं मन में दिया जला केमुझ को बचा लो देखो नेहा का रस पिला केयूं तो हसीं हैं लाखों तुम सा कोई ना देखालगते हो खूबसूरत तुम …