Author: शुभाष
उजाला उजाला भरो अपने अंदर कि अँधेरा दूर हो अपनी नज़रों से और हम देख पाएं बहुत सी अनचीन्ही चीज़ों को उन्हें भी, जो दिखाई तो देती हैं मगर …
इधर – उधर उधर न देखें श्रीमन् सही तस्वीर उधर नहीं, इधर है इधर ही है वो सब कुछ वांछित है जो आपको लहलहाते खेत बाग़-बगीचे वादियां-घाटियां सड़कें – …
सफ़दर हाश्मी के लिए एक इंसान ही था वह हमारे बीच हमारी ही तरह हँसते हुए गुनगुनाते हुए लगाते हुए ठहाके धकेलते हुए आसपास की हवा को हाथ फिराते …
अक्सर अक्सर मेरी यादों में एक चेहरा आता है लीक छोड़कर नई-नई जो राह बनाता है सपनों की बुनियाद रखी थी जो सालों पहले आज उन्हीं सपनों में कोई …
एक बार बरखुरदार! एक रुपए के सिक्के, और पाँच पैसे के सिक्के में, लड़ाई हो गई, पर्स के अंदर हाथापाई हो गई। जब पाँच का सिक्का दनदना गया तो …
हम तो करेंगे गुनह करेंगे पुनह करेंगे। वजह नहीं बेवजह करेंगे। कल से ही लो कलह करेंगे। जज़्बातों को जिबह करेंगे निर्लज्जों से निबह करेंगे सुलगाने को सुलह करेंगे। …
डरते झिझकते सहमते सकुचाते हम अपने होने वाले ससुर जी के पास आए, बहुत कुछ कहना चाहते थे पर कुछ बोल ही नहीं पाए। वे धीरज बँधाते हुए बोले- …
आख़िर कब तक इश्क इकतरफ़ा करते रहोगे, उसने तुम्हारे दिल को चोट पहुँचाई तो क्या करोगे? -ऐसा हुआ तो लात मारूँगा उसके दिल को। -फिर तो पैर में भी …
ठोकर खाकर हमने जैसे ही यंत्र को उठाया, मस्तक में शूं-शूं की ध्वनि हुई कुछ घरघराया। झटके से गरदन घुमाई, पत्नी को देखा अब यंत्र से पत्नी की आवाज़ …
ये घर है दर्द का घर, परदे हटा के देखो, ग़म हैं हंसी के अंदर, परदे हटा के देखो। लहरों के झाग ही तो, परदे बने हुए हैं, गहरा …
डॉक्टर बोला- दूसरों की तरह क्यों नहीं जीते हो, इतनी क्यों पीते हो? वे बोले- मैं तो दूसरों से भी अच्छी तरह जीता हूँ, सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ। …
तलब होती है बावली, क्योंकि रहती है उतावली। बौड़म जी ने सिगरेट ख़रीदी एक जनरल स्टोर से, और फ़ौरन लगा ली मुँह के छोर से। ख़ुशी में गुनगुनाने लगे, …
तू गर दरिन्दा है तो ये मसान तेरा है, अगर परिन्दा है तो आसमान तेरा है। तबाहियां तो किसी और की तलाश में थीं कहां पता था उन्हें ये …
तुम भी जल थे हम भी जल थे इतने घुले-मिले थे कि एक दूसरे से जलते न थे। न तुम खल थे न हम खल थे इतने खुले-खुले थे …
पानी से निकलकर मगरमच्छ किनारे पर आया, इशारे से बंदर को बुलाया. बंदर गुर्राया- खों खों, क्यों, तुम्हारी नजर में तो मेरा कलेजा है? मगर्मच्छ बोला- नहीं नहीं, तुम्हारी …
हम तो करेंगे गुनह करेंगे पुनह करेंगे। वजह नहीं बेवजह करेंगे। कल से ही लो कलह करेंगे। जज़्बातों को जिबह करेंगे निर्लज्जों से निबह करेंगे सुलगाने को सुलह करेंगे। …
बीवी की नज़र थी बड़ी पैनी- क्यों जी, कौन है ये जैनी? सहज उत्तर था मियाँ का- जैनी, जैनी नाम है एक कुतिया का। तुम चाहती थीं न एक …
सुदूर कामना सारी ऊर्जाएं सारी क्षमताएं खोने पर, यानि कि बहुत बहुत बहुत बूढ़ा होने पर, एक दिन चाहूंगा कि तू मर जाए। (इसलिए नहीं बताया कि तू डर …
एक घुटे हुए नेता ने छंटे हुए शब्दों में भावुक तकरीर दी, भीड़ भावनाओं से चीर दी। फिर मानव कल्याण के लिए दिल खोल दान के लिए अपनी टोपी …
बंधुओ, उस बढ़ई ने चक्कू तो ख़ैर नहीं लगाया पर आलपिनें लगाने से बाज़ नहीं आया। ऊपर चिकनी-चिकनी रैक्सीन अंदर ढेर सारे आलपीन। तैयार कुर्सी नेताजी से पहले दफ़्तर …
ख़ूबसूरत पंखों वाली नन्हीं चिडियों को एक पिंजरें में क़ैद कर लिया था हमने , क्योंकि उनके सजीले पंख लुभाते थे हमको, इस पिंजरे में हर रोज़ दिए जाते …
यह कैसा घर ? जहॉ बिस्तर पर उगी है नागफनी आंगन में घूमते हैं संपोले सोफे पर बिखरी हैं चींटियॉ, खूंटी पर टंगे हैं रिश्ते ,बालकनी में लटका है भरोसा, …
गुमशुदा की तलाश गुमशुदा मुझे तलाश है रिश्तों की एक नदी की जो गुम हो गयी है कंक्रीट के उस जंगल में जहॉ स्वार्थ के भेडिये, कपट के तेंन्दुये, …
एक मिस्ड काल मोबाइल पर आज फिर दिखलायी दी है एक मिस्ड काल। जैसे राख के ढेर में बच रही कोई चिंगारी छिटक कर आ गिरी हो किसी सूखे …
उस तूफानी रात जब बरस रहा था अहंकार और जाग उठा था रावण नई दिल्ली के रामलीला मैदान में क्रूर अट्टहासों के बीच अर्ध्यरात्रि में मैंने एक भटकती हुयी …