Author: shivdutt
ज़िन्दगी है सीखेगा तू गलती हजार करकिसने कहा था लेकिन पत्थर से प्यार कर | पत्थर से प्यार करके पत्थर न तू हो जानापथरा न जाये आँखे पत्थर का …
जब भी तुम्हारे पास आता हूँ मैंकितना कुछ बदल जाता हैसारी दुनिया एक बंद कमरे में सिमिट जाता हैसारी संसार कितना छोटा हो जाता हैमैं देख पता हूँ, धरती …
जिंदगी बिछड़ी हो तुम तन्हा मुझको छोड़ करआज मैं बेबस खड़ा हूँ, खुदखुशी के मोड़ पर ||जुगनुओं तुम चले आओ, चाहें जहाँ कही भी होशायद कोई रास्ता बने तुम्हारी …
जबसे तुम गये हो लगता है की जैसे हर कोई मुझसे रूठ गया हैहर रात जो बिस्तर मेरा इंतेजार करता था,जो दिन भर की थकान को ऐसे पी जाता …
कब तक चलेगा काम खुद को जोड़ जाड केहर रात रख देता हूँ मैं, खुद को तोड़ ताड़ के ||तन्हाइयों में भी वो मुझे तन्हा नहीं होने देताजाऊं भी …
कुछ फायदा नहीं मैं सोचता हूँ, खुद को समझाऊँ बैठ कर एकदिनमगर, कुछ फायदा नहीं ||तुम क्या हो, हकीकत हो या ख़्वाब होकिसी दिन फुर्सत से सोचेंगे, अभी कुछ …
जिंदगी की क़िताब कुछ बिखरने सी लगी हैबेचने की ख़ातिर इसे मुझे मढ़ना नहीं आया ||लोग कहते है कि मुझे पत्थर गढ़ना नहीं आयातुम्हे क्या ख़ाक लिखता तुम्हे पढ़ना …
सागर कब सीमित होगाफिर से वो जीवित होगाआग जलेगी जब उसके अंदरप्रकाश फिर अपरिमित होगा ||सूरज से आँख मिलाएगाकब तक झूमेगा रातों में ?कब नीर बहेगा आँखों में ?छिपा …
कभी सोचता हूँ कि कभी सोचता हूँ किजिंदगी की हर साँस जिसके नाम लिख दूँवो नाम इतना गुमनाम सा क्यों है ?कभी सोचता हूँ किहर दर्द हर शिकन में, …
रौशनी में खो गयी कुछ बात जिस गली मेंवो चाँद ढूढ़ने गया जिस रात उस गली में ||आज झगड़ रहे है आपस में कुछ लुटेरेकुछ जोगी गुजरे थे एक …
कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय मंदिर में काटों ने अपनी जगह बना लीवक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का ||सूरत बदलने की कल वो बात करता थालापता है पता आज …
कितना कुछ बदल जाता है, आधी रात को कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय जितना भी कुछ भुलाने कादिन में प्रयास किया जाता हैअनायास ही सब एक-एक करमेरे सम्मुख चला आता हैकितना …
वो लड़का जो कभी किताबों से मोहब्बत करता थासुना है, आजकल मोहब्बत में किताबें लिख रहा हैंपहले रास्ते की किसी सड़क के किसी मोड़ परया शहर के पुराने बाज़ार …
शहर की भीड़ भाड़ से निकल करसुनसान गलियों से गुजर करएक चमकता सा भवनजहाँ से गुजरते है, अनगिनत शहर |एक प्लेटफार्म है जो हमेशा हीचलता रहता हैफिर भीवहीं है …
शाम को आने मे थोड़ी देरीहो गयी उसकोघर का माहौल बदल चुकाथा एकदमवो सहमी हुई सी डरी डरीआती है आँगन मेहर चेहरे पर देखती हैकई सवालसुबह का खुशनुमा माहौलधधक …
कैसे जान पाओगे मुझको अगर तुमने प्रेम नही कियातो कैसे जान पाओगे मुझकोकिसी को जी भरकर नही चाहाकिसी के लिए नही बहायाआँखों से नीर रात भरकिसी के लिए अपना …
कवि: शिवदत्त श्रोत्रियजब भी भटकता हूँ किसी की तलाश मेंथक कर पहुच जाता हूँ तुम्हारे पास मेंतुम भी भटकती हो किसी की तलाश मेंठहर जाती हो आकर के मेरे …
मिले नज़र फिर झुके नज़र, कोई इशारा तो होयो ही सही जीने का मगर, कोई सहारा तो हो ||स्कूल दफ़्तर परिवार सबको हिस्सा दे दियाजिसको अपना कह सके, कोई …
काम और उम्र के बोझ से झुकने लगा हूँ मैंअनायास ही चलते-चलते अब रुकने लगा हूँ मैंकितनी भी करू कोशिश खुद को छिपाने कीसच ही तो है, पिता के …
कभी-कभी खुद से बातें करना अच्छा लगता हैचलते चलते फिर योहीं ठहरना अच्छा लगता है ||जानता हूँ अब खिड़की पर तुम दिखोगी नहींफिर भी तेरी गली से गुजरना अच्छा …
रंग रूप कई वेष यहाँ पररहते है कई देश यहाँ परकोई तिलक लगाकर चलताकोई टोपी सजा के चलताकोई हाथ मिलाने वालाकोई गले लगाकर मिलताकितने तौर-तरीके, सबसे मिलवाने आया हूँक्या …
एक कहे मंदिर में रब हैदूजा कहे खुदा में सब हैतीजा कहे चलो गुरुद्वाराचौथा कहे कहाँ और कब हैमैं कहता माँ बाप की सेवादुनिया में सबसे बड़ा मजहब है …
मैंने एक ख्वाब देखा था, तुम्हारी आँखों मेंहक़ीक़त बन जाये मगर ये हो न सका ||एक कश्ती ले उतरेंगे समुन्दर की बाहों मेंकोई मोड़ न होगा फिर अपनी राहों …
विज्ञान और धर्म की ऐसी एक पहचान होविज्ञान ही धर्म हो और धर्म ही विज्ञान हो|आतंक हिंसा भेदभाव मिटें इस संसार सेएक नया युग बने रहे जहाँ सब प्यार …
कवि: शिवदत्त श्रोत्रियकिसी ने उपमा दी इसेमहबूबा के चेहरे की,किसी ने कहा ये रात का साथी हैकभी बादल मे छिपकरलुका छिपी करता तो ,मासूम सा बनकर सामने आ जाता …