Author: shauryashanker
जब कभी सर्द रातों में, गली के कुत्तों की आवाज़े, नींद में ख़लल डालती हैं लोगों के, और चाँदनी बादलों से उतर के, गली के आवारा कुत्तों से …
जब कभी मैं उलझता हूँ खुद से , मेरी ऊँगली पकड़ सुलझाती है , मेरी माँ … जब कभी मुझे ठेस कोई लग जाती है , ज़ख्म से निकलते …
कुछ और धुंधले होते जा रहे है वो रंग, पुरानी यादों के मेरे कुछ ही रंगों का अस्तित्व बचा है बाकी सब सफ़ेद या स्याह से लगते हैं अब तो। मिटटी के बने …
मेरा मन कुछ दिनों से, अकेले शहर घूम आता है ये बावला सा है कुछ , मेरी बात सुनता ही नहीं। किवाड़ पे दस्तक होते ही, रात की …
खुद से बातें करते, आज बहुत दूर निकल आया हूँ, अपने घर का पता भी, मैं भूल आया हूँ। किनारे की एक छोर पकड़, उसके साथ यहाँ तक चला आया हूँ, …
अँधेरे की ऊनी चादर ओढ़े, वो रात भयानक सी है. जहाँ अभी गोली चली थी, जहाँ थोड़ी देर पहले भगदड़ मची थी। एक तरफ, गाड़ियों के टूटे कांच पड़े थे, …