Author: Shubham Praveen
कभी सिर्फ केमिस्ट्री लैब में सूंघी थी, आज हवा में सूंघता हूँ, हर पांच मील पर सल्फर, चार मील पर सोडियम और तीन मील पर अमोनिया है, सीमेंट घुली …
दिलचस्प है ये ख्यालकी इसमें तुम हो, एक गुनाह की तरह,वक़्त से बेवफा, एक इत्तेफ्फाक की तरह,तुम हो, और यही हो, मेरे एहसासों को कोईपकाए महीनो धुप में,बदले उनका ठिकाना …
आसी पासी, कितनी देर?यु की तुम पास ही,पर कितनी देर?दफ्तर की रेल पेल,उठा पटक,भागम भाग |आसी पासी कितनी देर?यूँ चूमने और न चूमने का दायरा,यु बाँहों में कसने और …
अंधेरों की नहीं टिमटिमाते चिरागों की होती है रात नींद की नहीं सपनो की होती है रात अलसाई बाते, इठलाते जज्बातों की होती है रात | कल रात को …
चाँदिनी में फिर भीगी हुई है रात, उन्मुक्त गगन में ज्यादा निखरी हुई है रात, ख़ुशी में झूम रहे है इसके सरे चाहने वाले.. पेड़, पहाड़ नदियाँ और तालाब। …
कुछ टूटे सपनो को बटोर कर हमने मील का पत्थर बना दिया, जूग्न्यूवो को इककटता कर कुछ रोशनी की, सन्नाटो मे आवाज़ भर झींगुरो को शांत किया समझाया उन …