Author: Saviakna
तेरे एहसास की दौलत लेकर धनी हूँ मैंइन्हीं सतरंगी तेरे यादों से ही सनी हूँ मैंकहते हो, बडी़ खूबसूरत है तेरी आहटबिना तेरे एहसास, खुद को भी खली हूँ …
रूप में रागिनी, मै हूँ गृहस्वामिनीजो उठा लू कलम तो मैं गजगामिनीसार्थकता वही,अभिव्यक्ति भी वहीजो तुम में प्रकृति,हममे शक्ति भी वहीफिर किसलिए नही हमारी पहचान है।।ऐ बता दे आसमां, …
मुझे केसर की तरह महकने दो मुझे अक्षत की तरह छिटकने दोन करना कोशिश कैद करने की हवा हूंमुझे खुश्बू की तरह बिखरने दो।।।। Оформить и получить экспресс займ …
मन में आते राह अनेकदिल में आते चाह अनेकखाली – खाली ना रह जातामिल पाता जबाब जो एक……गीत Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые …
कसक, टीस, आंसू सब भुलाने का मौसम प्यार के साथ सासों को गुलजार बनाने का मौसम माहे वसन्त आया है मीठी तपिश की धूप लेकर दिल से दिल, मन …
उस रोड लैंप की रोशनी मेंधुंधलके सा तुम्हारी परछाई का दिखनाऔर मेरे हृदय का स्पन्दनआन्तरिक अह्लादित ह्रदय खुश्बू जैसे चंदनमन्त्र मुग्ध करता तुम्हारा सम्मोहनऔर फिर मेरा तुम्हारी ओर बढनातुम्हारा …
एक कोशिश आप सब की नजर का इन्तजारमैं चला था तुम्हारी इक झलक पाने की खातिरतुमने हंसकर बात कर लिया, क्या कम थामैं बातों को सुन रहा तुम्हारी होश …
हो तो अजनबी तुमक्षण – क्षण मुझे अपनेआप को भुलाने परविवश कर रहे हो।।।हो तो मेरे लिए प्रेम तुमसत्य – असत्य के साथतड़प की नाव परसवार कर रहे इस।।हो …
पग पग बाधें स्नेह का बन्धनराह चलु अंगड़ाई लेतुम्हें छोड़ कैसे मैं जाऊबागो की अमराई में।।।। Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в …
जगती आँखों के कोरो मेंसोती आँखों की अलसाई में तुमहममें हम नहीं से पर हमारी परछाई में तुमहोठों से नाम लेते, जो होगी हमारी, रुसवाई में तुमसम्भालना चाहा दिल …
क्या कहती हैं मुझसे तुम्हारी आखेंक्या ढुढ़ती है मुझमें तुम्हारी आखेंकुछ इशारा तो दोजिससे ये उलझन सुलझेकभी लगता है प्रश्न करती है तुम्हारी आखेंकभी लगता है कुछ सुनाती है …
शाम का वक्तसुरमई मौसमसितम्बर का सितमतुम याद आये।रहते हैं शहर मेंमन है गवईठेठ अल्हड़ मन मेंअसंख्य संवेदनाएं।।हर लब्ज ताजाउबलते केतली के पानी साईजाद तर्क कीकविता में ज्यादा।।मन की गठरी …
चाँद को अपनी चाँदनी का जितना है शुरूरजादू करू ऐसा आप हमें भी चाहें उतना ही हुजूरउलझन…… वाली पहेली बना लुगी आप कोसुलझाते रहोगे अपनी उलझन मेरी गेसूओं में …
ये जमाने न रोक चलने दे मुझे करूगी अलहदा काम करने दे मुझे क्या हुआ जो हुँ मैं महिला अपनी सासों का कर्ज भरने दे मुझे।।
तेरे सार्थक शब्दो की बूनावट में आकाश में दिखती उपमाओ में आती जाती हवाओ में अक्षरो के रेशे रेशे में फूर्सत के हर छड़ो में उभरती हुई हर अक्स …
ये चाँद,ये तारे,ये रतिया तुम्हारे बिन न बांहो का तकिया के तुमको ही ढूढती है बहिया। ये मेहदी,ये पायल,ये बिदियां तुम बिन नही कोई बतियां के तुमको ही ढूढती …
पेड़ के नीचे बैठे तुम निहारा करो ये इन्तजार जियादा था, ना कोई वादा ना कोई कसम फिर भी एतबार जियादा था रूक जाती थी कलम तुम्हे खत लिखने …
क्षितिज का वह छोर जहां जाकर अंधेरा भी अनन्त रोशनी से लबालब हो जाये, ऐसा प्रकाश से भरा गधाशं रचना है। आजमाइश न हो खिलखिलाहटो की जब मेरी पंक्तियाँ …
15 अगस्त आ तो रहा है धड़कन गुनगुना तो रहा है आकाश में तिरंगा लहरा तो रहा है व्यवसाय बन गया तिरंगा कचरे वाला फटा तिरंगा उठा तो रहा …
तुमसे मिलने वाली खुशी और प्यार को सम्भालना चाहतीं हूँ तुमसे हरदम मिलना और तुमको जानना चाहती हुँ कर दो दूर अपने शरम और अपने भरम को तुमसे प्यार …
संवेदनाओं की कसौटी पर कसती है जिन्दगी इस कसौटी पर कहाँ खरी उतरती है जिन्दगी। जिन्दगी के लय को सम्भाल कर चलने की कोशिश में सहज सरस कहाँ रह …
ये कैसी सुबह है, जो खुबसूरत है पर लगती थोड़ी अधूरी सी मिल जाओ राहों में हो जाये थोड़ी पूरी सी सुरज की पौ फट जायेगी, चिड़िया चहचहा उठेगे …
हम चाहते है बहुत हम प्यार करते है बहुत हम लड़ते है बहुत हम झगड़ते है बहुत क्या कभी सोचा है ”क्यों,, हमारी तमन्नाए जो अधूरी ठहरी।।। सविता वर्मा
उमड़ घुमड़ के आइल बदरवा फैलल बा अरमानन के चदरवा भिजेला मन होके बावरवा येही सावन में देखब जब भिगल आपन बदनवा अपनहि झुमब गाइब गनवा अपनहि मोहा के …
गांव का वो झान्ही उसमे से टपकता बारिश का पानी कीच काच से भरा वो रस्ता बच्चे लादे चलते बस्ता फिसलन से भरी वो मेढी हम सब चलते थे …