Author: SALIM RAZA REWA
अपने हसीन रुख़ से हटा कर नक़ाब कोशर्मिन्दा कर रहा है कोई माहताब कोउनकी निगाहे नाज़ ने मदहोश कर दियामैं ने छुआ नहीं है क़सम से शराब कोदिल चाहता …
हर एक ज़ुल्म गुनाह-ओ- ख़ता से डरते हैंजिन्हे है ख़ौफ़-ए-ख़ुदा वो ख़ुदा से डरते हैंन मुश्किलों से न जौर-ओ-जफ़ा से डरते हैग़म-ए-हयात की काली घटा से डरते हैंकिसी ग़रीब …
हर एक ज़ुल्म गुनाह-ओ- ख़ता से डरते हैंजिन्हे है ख़ौफ़-ए-ख़ुदा वो ख़ुदा से डरते हैंन मुश्किलों से न जौर-ओ-जफ़ा से डरते हैग़म-ए-हयात की काली घटा से डरते हैंकिसी ग़रीब …
बुलन्दी मेरे जज़्बे की ये देखेगा ज़माना भीफ़लक के सहन में होगा मेरा इक आशियाना भीअकेले इन बहारों का नहीं लुत्फ़-ओ-करम साहिबकरम फ़रमाँ है मुझ पर कुछ मिजाज़-ए-आशिक़ाना भीजहाँ …
जहां में तेरी मिसालों से रौशनी फैलेकि जैसे चाँद सितारों से रौशनी फैलेतुम्हारे इल्म की खुश्बू से ये जहाँ महकेतुम्हारे रुख़ के चराग़ों से रौशनी फैलेक़दम क़दम पे उजालों …
साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होतामेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होताराह पर सदाक़त की गर चला नहीं होतासच हमेशा कहने का हौसला नहीं होताकोशिशों से …
जिसे मुश्किल में जीने का हुनर पर्फेक्ट होता हैमसाइब के अंधेरों से वही रिफ्लेक्ट होता हैवही क़ानून को हाथो की कठपुतली समझते हैंकनेक्शन जिनका ऊंचे लोंगों से डारेक्ट होता …
जिधर देखो उधर मेहनत कशों की ऐसी हालत हैग़रीबों की जमाअत पर अमीरों की हुक़ूमत हैग़रीबों के घरों में रहबरों देखो कभी जा करवहां ख़ुशियां नहीं हैं सिर्फ़ फ़ाक़ा …
रंगीन-ए-जमाल में डूबी हुई मिलेयानी मेरे सुख़न को नई रोशनी मिलेवो चांदनी जो आबरू है आसमान कीऐसा न हो ज़मीन पे घायल पड़ी मिलेकल की मुझे उमीद नहीं है …
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कहीं पर चीख़ होगीं और कहीं किलकारियाँ होंगींअगर हाकिम के आगे भूक और लाचारियाँ होंगींअगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त होमहब्बत का चमन होगा ख़ुशी की …
अपने हसीन रुख़ से हटा कर नक़ाब कोशर्मिन्दा कर रहा है कोई माहताब कोउनकी निगाहे नाज़ ने मदहोश कर दियामैं ने छुआ नहीं है क़सम से शराब कोदिल चाहता …
मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आएमुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आएचाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आएउनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आएरश्क करते …
इश्क़ तुमसे किया नहीं होताज़िन्दगी में मज़ा नहीं होताज़िन्दगी तो संवर गयी होतीतू जो मुझसे जुदा नहीं होतातेरी चाहत ने कर दिया पागलप्यार इतना किया नहीं होताचोट खाएँ भी …
दूर जितना ही मुझसे जाएंगेमुझको उतना क़रीब पाएँगेफिर से खुशिओं के अब्र छाएंगेडूबते तारे झिल मिलाएंगेकुछ न होगा तो आंख नम होगींदोस्त बिछड़े जो याद आएंगेमाना पतझड में हम …
मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता हैजो यक ब यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा हैटूटी हुई हैं शाख़ें मुरझा गई हैं कलियाँतेरे बग़ैर दिल का गुलशन …
__________________________शाम-ए-रंगीं गुलबदन गुलफा़म हैमिल गए तुम जाम का क्या काम हैजिससे रोशन मेरी सुब्ह-ओ-शाम हैमेरे होटों पे फक़त वो नाम हैमेरा घर खुशिओं से है आरास्तामेरे रब का ये …
पहले ग़लती तो बता दे मुझकोफिर जो चाहे वो सज़ा दे मुझकोसारी दुनिया से अलग हो जाऊँख़ाब इतने न दिखा दे मुझकोहो के मजबूर ग़म-ए-दौरां सेये भी मुमकिन है …
उसे ख़्यालों में रखता हूँ शायरी की तरहमुझे वो जान से प्यारी है ज़िंदगी की तरहतमाम उम्र समझता रहा जिन्हे अपनागया जो वक़्त गए वो भी अज़नबी की तरहमहक …
सुख उसका है दुख उसका है तो काहे का रोना हैदौलत उसकी शोहरत उसकी क्या पाना क्या खोना हैचाँद-सितारे उससे रौशन फूल में उससे खुशबू हैज़र्रे-ज़र्रे में वो शामिल …
आईना देख के वो मुस्कुरा के कहते हैंऐसी सूरत भी भला तुमने कहीं देखी है-मेरी तस्वीर में चेहरा बहुत पुराना हैअब जो देखोगे तो पहचानना मुश्किल होगा-आज भी उनकी …
#salimrazarewa #salim-raza-rewa #qita #muktak #behtreen #shayri #sher #gazal #urdushayri_________________________ Nov-19रुख़ से जो मेरे यार ने पर्दा हटा दियामहफ़िल में हुस्न वालों को पागल बना दियाउसके हर एक अदा पे …
शाम आना है सुब्ह जाना हैदिल सितारों से क्या लगाना हैooदिल ये कहता है तुम चले आओआज मौसम बड़ा सुहाना हैooप्यार उल्फत वफ़ा मुहब्बत सबये तो जीने का इक …
गर तू नज़रों से पिला जम के पिएँगे साक़ी रहने देंगे नहीं प्याले में कोई मय बाक़ी -जाम पे जाम चले सुब्ह से शाम चले तेरा भी नाम चले …
अन-गिनत फूल मोहब्बत के चढ़ाता जाऊँ आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ oo जाने इस शहर में फिर लौट के कब आऊँगा पर ये वादा है तुझे भूल …