Author: "sadashubhani" nivedita
बंदिशे … कुछ बंदिशे भी शायद ज़रूरी है .. भाग रहे थे हम सपनों के पीछे , कुछ बंदिशों ने हमे अपनों से मिला दिया। आज दो वक़्त की …
बचपन में नन्हे कदमों का एहसास .चलते- चलते लुढ़कने का एहसास .किसी अपने के कंधे पर बैठकर , दुनिया की सेर करने का एहसास .वो सौंधी मिटटी को चखने …
कभी कोई वक़्त पे सम्हलता हैं ..तो किसी के हाथ से वक़्त फिसलता हैं …कब , कहाँ , कैसे वक़्त गुज़रता हैं ..पता ही नहीं चलता हैं ..कभी कोई …
अंगड़ाई लेकर , आरामदायी चादर संग कुछ वक़्त सुकून से , सोना चाहती हूं तंग भरी गलियों से निकलकर, वीराने जंगलों से कुछ कहना चाहती हूं कोरे कागज़ पर शब्द याद आते नहीं, लिखे शब्दों को, दोबारा लिखना चाहती हूं बड़ी हो रही हूं……. जिम्म्मेदारी ढोने से पहले, एक बार हठ करना चाहती हूं. बच्ची थी…..फिर बच्ची बनना चाहती हूं दुनियां की लापरवाही में, अपनों की परवाह करना चाहती हूं ना जाने कब यह ज़िन्दगी अलविदा कह दे खुद से ज्यादा , एक बार किसी पे विश्वास करना चाहती हूं इस ज़िन्दगी के संघर्ष कई हैं… इनसे लड़कर थकने से पहले, बस, कुछ देर सुकून से सोना चाहती हूं…. Оформить и получить экспресс займ …
किस मुकाम को निकले हैं आज….. कोई हाथ में झोला, तो कोई लिए हैं सर पर ताज …. एक ओर हैं किसी को चारपाई… तो दूसरी ओर हैं मखमल …
सोचती हूं कभी – कभी काश ….मैं पंछी होती मेरे भी पंख होते …. बेफिक्र , जब मन कहता लगती आसमान में उड़ने …. ऊँची…. होती उड़ान , मेरे …
एक कहानी याद सी आकर रह गयी ….. सुहाने सफर की , कुछ अरमानो की , कुछ सपनो की , कुछ अपनों की , कभी कुछ नादानी की , …
ना जाने क्यों ऐसा लगता हैं…. हर इंसान अपनी शक्ल पर, एक नयी शक्ल रखता हैं ज़माने का तो रुख ही अलग हैं … यहाँ तो लोग अपनों से …
रुक – जा, सवेरे वो आएगा…. अंधेरो से उजालो की ओर ले जाएगा. धीरे से आँचल लहराएगा …. चुपके से छू-कर चले जाएगा . थोड़ी शरारत कर जाएगा …. …
हर मुश्किल से लड़ जाना हैं , खुद में हैं दम – खम् यह साबित कर दिखाना हैं ….. यह ज़िन्दगी हैं …. और यह ज़िन्दगी संघर्षो का अफसाना …
सबसे प्यारी हैं वो , सबसे न्यारी हैं वो, मुनिया हुईं मैं उसकी मेरी दुनिया सारी हैं वो. हर वक़्त मुझे उसका स्पर्श हैं वो मेरी ज़िन्दगी का आदर्श …
कुछ तो था तेरी मेरी बातों में कुछ नया, . याद हैं वो बीता, हर पल का एक जहाँ याद हैं वो हर दिन, हर रात जो तेरे संग …
उठ खड़े हो कर जतन रुकना नहीं, चलते चल. हो भले राहों में कांटे भी, अपना उन्हें, हो अग्रसर , रुकना नहीं, चलते चल. बदल राह, लक्ष्य न बदल. …
हर वक़्त कुछ कहता हैं कुछ वक़्त खुशियां लाता हैं, कुछ वक़्त गम सहता हैं. हर वक़्त की अपनी परिभाषा हैं हर किसी को वक़्त से अभिलाषा हैं वक़्त …
शब्दों का खेल हैं सब भावों का मेल हैं सब शब्दों की महिमा हैं अपार शब्दों से जुड़ा हैं सारा संसार शब्दों ने ही तो साधे हैं रिश्तें शब्दों …