Author: "साथी "
हर घड़ी गम से गुफ़्तगू में निकल जाती है, गम अगर छोड़े कभी तो कहीं ख़ुशी से मिलूं, आँखों में अश्क़ की नदियां-सी उभर आती है, आँखों के …
अलग-अलग ले राह यहाँ मैं सबको चलते देख रहा हूँ, दुनियाँ पहले भी बदली थी और बदलते देख रहा हूँ, खुद को पिछड़ा कहलाने की होड़ मच रही है …
तेरी चाहत के तोहफे हैं,जो इन आँखों से बहते हैं, नहीं तू संग फ़क्त इनको तो मेरे पास रहने दे, महज़ आंसू बता इनको न तू अपमान कर इनका, …
हमको ख्वाबों में ख्यालों में तुम बसा लेना, अपने होठो पे हमको गीतों-सा सजा लेना, हम क़यामत तलक न साथ तेरा छोड़ेंगे, हम हैं हाज़िर, हमें जब चाहे आजमा …
जिदंगी जैसी है यारो; खूबसूरत है, है ख़ुशी की भी ग़मों की भी जरुरत है, ना चला है जोड़ जीवन में किसी भी वीर का, वक़्त के साम्राज्य में …
सुबह उगना ही है तो शाम को ढलता क्यूँ है, किस से चाहत है बता सूर्य तू जलता क्यूँ है, क्या है ख्वाहिश तेरी क्या दूर बहुत मंजिल है, …
हो आँखों में भले आँसू, लबों को मुस्कुराना है, यहाँ सदियों से जीवन का,यही बेरंग फ़साना है, है मन में सिसकियाँ गहरी,दिलों में दर्द का आलम, मगर हालात के …
तुम जिसे ठुकरा गयी, वो अब जग को रास आ रहा है, जो सुना तुमने नहीं वो धून ज़माना गा रहा है, तुमने बोला था न बरसेगी जहाँ एक …