Author: Rakesh Aryan
एक जमीं भी हो कोई नया आसमाँ भी हो ऐ दिल चल वहाँ जहाँ मेरे हिस्से का जहां भी हो दयारे-गैर सा गुजर जाए ऐसी रौशन-ए-आफताब न हो चल …
आंखों को बंद आंखों से देखता रहा रात भर कुछ पुराने ख्वाबों की तफ्तीश कर रहा हो जैसे नदी में कागज़ की कश्ती पर बैठा लंफ्ज़ों की पतवार से …
चलो कुछ वक्त हमदोनो का आज बांट लेते हैं तूम खूबसूरत सुबह रख लो हम शाम रख लेते हैं मैं शायर हूँ तो फिर ये मुझको मेरी आवारगी रही …
हाल-ए-दिल न बयाँ कीजिये कभी यूँ बे-क़रार होकर। लोग इसमे भी अब अदब की गुंजाइश ढूंढते हैं।
ख़ता है, और वो ख़ुदा भी है, सुना है इश्क़ तो बस पाबन्द-ए-वफ़ा है। पर मुसव्विर मैं धुंधली किस्मत का, शायद यही अब मेरा कहकशां है।
चलो आज फिर से दिल आवारा कर लिया जाये टूटे हुए हर टुकड़े को सितारा कर लिया जाये मुत्तासीफ बयार बेरुखी के आने से पहले चलो किनारा करने वालों …
हर रुख से पर्दा हट रहा है अब धीरे धीरे कहानी में यूँ रंग बदल रहा है अब धीरे धीरे रिश्ते एहसासों को खरीदा बेचा जाएगा अब यहां ज़रा …
खोले अपनी बाँहें..यूँ चलती रही हवाएंना शोखियों का होश थाना रवानी का जोश थाउसे उड़ने का शौक थान डूबने का ख़ौफ़ थासिर्फ चलना उसकी क़ज़ा में थामंज़िलों का कुछ …
मेरे ख्यालों का गुलिस्तां वीरान है कब से, कहाँ हो तुमधूप धूप है ये जिंदगी मेरीनही छुपा बादलों में आसमां कब से, कहाँ हो तुमलौट आओ किसी रोज़ की …
Every person in this universe has four different stages of their life, where they start the journey starting from the God gifted color (Original personality) to the color they …
बेज़ुबानों के मुख से अपनी बदज़ुबानी गाता है कोईकभी आज़ादी की अनसुनी कहानी सुनाता है कोईबच्चे क्यों न भाग जाए स्कूलों सेजब न्यूज़ चैनल पर ही नया इतिहास पढ़ाता …
मिलने बिछड़ने का ये सफर जारी रखो।थोड़ा करार हो और थोड़ी बेकरारी रखो।तू मुझको अपना लगान जाने कैसी नज़र थी मेरीअगर तेरी भी नज़र-ए-करम हो ऐसीतो ये नज़र जारी …
वो क़त्ल करके पूछते हैंये किसने किया?ये काम किसका था ?अज़ब रंगत में है आज सियासत अपनीये जुर्म उसकी थीये पयाम जिसका था।@aryan136207 (Twitter) Оформить и получить экспресс займ …
कभी मुद्दतों से जमा किया रेत के दानों सा बिखर गया।अब ना वो वक़्त रहा ना मौसम रहा ना रातें रही ना सहर रहा।शरगोसियों में ढूंढता था ज़माल-ए-इश्क़ वो …
दूर कहीं एक खूबसूरत शाम देखता हूँ।दोस्तों की दुआ और न जाने कितने सलाम देखता हूँ।वक़्त का पहर कमबख्त वक़्त को रास न हुआ शायदहाथ से फिसलता हुआ मंज़र …
किसी गैर के किस्से सुनाता रहा तुमको।इसी बहाने दिल की बात बताता रहा तुमको।मेरी दिवानगी में थी कमी या तेरी बेपरवाहियां ज्यादातुझसे दूर होकर अपने क़रीब बुलाता रहा तुमको।किसी …
हम सब ने बोली है कभी हिंदी कभी उर्दू।अहम से नही हम से निकली है कभी हिंदी कभी उर्दू।सियासत -ए- दांव पर बिखरी पड़ी है हर तरफ लाशें,शाह-ए-नज़र में …