Author: Rajesh Kumar Verma
ओ माझी जीवन दिया तुझे सौप मायजाल में खुब फंसाया ,कभी हंसाया कभी रूलाया रिश्ते नातों में बंधी है काया ,तू बंधन दे अब खोल ओ माझी जीवन……………. ठौर …
वक़्त ज़ाया न कर खुदा की तलाश में ढुंढ ले इंसां कोई दुनियॉ के बाजार में RKV(MUSAFIR) *****
यहाँ रोने से क्या होगा मिलेंगें लोग बहुत तुमको चाहने वाले मिलेंगें कम ही मगर तुमको निभाने वाले ना जाने कैसी रिवायतें हैं कैसा है चलन देख हालात मिलाते …
देख पैमाने की सूरत तू मुंह न मोड सीरत मे असर है इसकी तू पी के तो देख RKV(MUSAFIR) *****
गम अपनी जगह हैं शराब अपनी जगह है नशा कैसा भी हो ` मुसाफिर ‘ नशा आखिर नशा है RKV(MUSAFIR) *****
ये न समझ कि मैं गम से घबरा के पीता हुं देखता हुं ज़माने भर के गम तो खुदा का शुक्र अदा करता हुं RKV(MUSAFIR) *****
ओ माझी जीवन दिया तुझे सौप मायजाल में खुब फंसाया ,कभी हंसाया कभी रूलाया रिश्ते नातों में बंधी है काया ,तू बंधन दे अब खोल ओ माझी जीवन……………. ठौर …
काश के ज़माने भर के गम पैमाने में आ जाते तोड देता पैमाने मैं तो शायद कुछ कम हो जाते मगर ऐसा होता नहीं है खूब तोड कर देखें …
नज़रे झुकाये बैठे हो अश्क बहे जाते हैं बडी भोली हो तुम क्या ऐसे भी गम छुपाते हैं क्या खफा हो मुझसे जो दामन बचाये बैठे हो गर खफा …
तुम्हारे रुठ जाने का सबब भी क्या खूब था मनाते रहे हम तुमको लुत्फ तुम्हें आता रहा RKV(MUSAFIR) *****
पहले नज़रों ने ही मेहमान बनया था इमान से दिल में रखने का ख्याल आया मुझे काफी बाद में RKV(MUSAFIR) ******
तू शामिल है जिंदगी में शराब के मानिंद आगोश में नशा है जुदाई में तलब है RKV(MUSAFIR) *****
ले लिजिए फूल हमारे हाथों से हमारा दिल रख लिजिए हम भी समझ लेंगें हमें भी कोई प्यार करता है RKV(MUSAFIR) *****
कातिल कह्ते हैं सभी तुझको , और तू इस बात से बेखबर है उठतीं हैं ज़माने भर की निगाहें तुझ पर , लेकिन झुकी रहती तेरी नज़र है कत्ल …
इक तेरे में ` ऑचल की छांव ‘ में सूकून पा लेता हूं वरना ` सूरज ‘ ने कमी ना छोडी थी मेरा बदन जलाने में R.K.V.(MUSAFIR)
(मुंडा)-दिल करे धक धक बल्ले बल्ले ओये ओये आजा आजा ओये होये आहा आहा ओये होये जे हैं तूं पटाका कुडिये अस्सी केडे कम्म नें चंगी तरा वेख सानूं …
(तर्ज: आजा आजा रे……) भव से बेडा पार लगेगा राधे राधे कृष्ण कृष्ण जो भी कहेगा मन बांवरा है करता है अपनी विषयों की प्यास यहां कभी नहीं बुझती …
डम डम डम डीगा डीगा रे ,दिल मे कुछ हुआ हुआ रे बिन पीये मैं तो साला ,गिरा गिरा गिरा गिरा रे जाता है तू कहां रे मन ,पल …
जिंदगी और मौत में बस फॉसला है इतना इक तेरे फैंसले पे टिकी हैं ये निगाहें मेरी R.K.V.(MUSAFIR) *****
इक तेरे में ` ऑचल की छांव ‘ में सूकून पा लेता हूं वरना ` सूरज ‘ ने कमी ना छोडी थी मेरा बदन जलाने में R.K.V.(MUSAFIR) *****
एक आईने में फक़त अक्स नज़र आता है एक आईना दिल है मेरा जो मुझ्को बह्लाता है दोनो ही आईने बडे कमसिन है ` मुसाफिर’ एक पत्थर से एक …
तू गिला कर तू शिकवा कर तू शिकायत कर जो भी सलूक कर गरेबां में झांक कर ही कर R.K.V.(MUSAFIR) *****
काश के आरजू बर्फ की डली सा जमा कर रख लेता रगो में गरम खून दौडता है ,ये भी तो मुसीबत है R.K.V.(MUSAFIR) ******
लह्द पे अब ,गुल चढानें से क्या होगा सुपुर्दे ए खाक का फैसला तो हमने ही किया था अब याद ,फरीयाद ,आसूं बहानें से क्या होगा वक़्त ए रुख्सत …
वाइज़ भला कौन मयकदे सा होगा हर शख्स फक़त मयकश ही नज़र आता है यहॉ R.K.V.(MUSAFIR) ******