एक दिवाली ऐसी भी हो rajdipindia1982 28/10/2016 अज्ञात कवि 6 Comments एक दिवाली ऐसी भी हो, दीप जले अंतर्मन में।अंधकार सब मिट जाए, हो प्रकाश मनुज-मन में ।अहंकार सब धुल जाये, निर्मल-नीर बहे जन में।एक दिवाली ऐसी भी हो, दीप … [Continue Reading...]
गजल जैसा rajdipindia1982 28/10/2016 अज्ञात कवि 10 Comments हो गये समझदार, हम भी दाँव आजमाने में लगे हैं।समझता कौन है यहाँ, हम भी समझाने में लगे हैं॥दिल से नहीं दिमाग से, अब तो बनते रिस्ते नाते हैंस्वार्थ … [Continue Reading...]