कौन कहता है अकेले है हम ! premchand 16/01/2015 प्रेमचंद मुरारका No Comments एक में अनेक है आप आपके हाथ में है ऎसी क्षमता आप जिसको पंचायत का प्रधान बना दे आप चाहे जिसको बिधायक बना दे आप चाहे जिसको सांसद बना … [Continue Reading...]
रोटी premchand 06/04/2013 अज्ञात कवि 1 Comment नींद तो आती कहांसे भूखे पेट में सपने तो तब आये रोटी के जब खाने मिले रोटी भूखे पेट आंसू भी नहीं आते वह भी पिए जाते है कौन … [Continue Reading...]