Author: prashant.renp
एक पगली शाम की बात है…!!! जब हम थके हारे कम से लौटते थे, और बीवी हमारे पास आती थी !! हमारे दफ्तर हाथो से लेकर, पास वाले मेज …
वक़्त ने क्या अजीब सितम ढाये ज़माने पर आजमाईश ना चली किसी की वक़्त के फसानो पर फसले भी ना देखने मिली जमीं के माथे पर किसान खुद ही …
उसको चाहके कीसी और का होना! मेरे बस में न था..!! दील तो उसको दे दिया था! मेरे तो बस आसू थे और कुछ न था..!!