Author: pradeep awasthi
हर घडी जिसकी बंदगी की है ! आज फिर उसने बेरुखी की है !! कौन हँसकर जहर पियेगा यूँ ! जिस तरह मैने मयकसी की है !! आज फिर …
जख्म दिल का तो हरा होने दे ! आज फिर उसको खफा होने दे ! बेच देना फिर किसी दुश्मन को ! मेरी कीमत तो जरा होने दे !! …
मन फिर आज उदास हुआ है ! राम को फिर बनवास हुआ है !! असुर नित पुरुष्कृत हो रहे ! सत का फिर उपहास हुआ है !! लब-कुश कचरा बेच रहे …
न समझे कोई कि पिए बैठा हूँ ! तकाजा-ए-उम्र लिए बैठा हूँ !!फक्र मेरी होश-ओ-हवासी पर ! कबसे होठों को सिए बैठा हूँ !! वो याद का मौसम तो …