Author: Deo
अभी तक तो तुम्हें भुलाया नहीं था मगर फिर ये सोचा याद कर के भी क्या फायदा ? जमाने में इतनी ताकत कहाँ थी जो तुम्हें मुझसे यूँ जुदा …
चाहा तो ना था कि चाहूँ तुझे झतना की बंद आँखों स॓ भी तू ही नजर आए । नजदीक आके जरा मुसकुरा के नशीली सी नजरों को नीचे झुकाके …
ऐ खुदा तू है कहाँ? मैं हूँ यहाँ, जहाँ उसने है मुझको दिया भुला जिसकी झील सी आँखों में मैंने था देखा जहा उसकी अनकही सदा को भी था …
तू जो मिल जाए य़कीं न हो, हकीकत है या झोंके हैं अफसानों के । तू जो मिल जाए धडकने तेज हों उडने लगॅू मैं आसमानों में । तू …
हम तो दिवाने थे पागल तो दुनिया ने बताया क्या करते तेरी एक झलक ने मुझको इतना था बेबस बनाया । न राहों की खबर थी, न मंजिल का …
न जाने क्यों आज फिर कुछ अंधेरा सा लगता है आँखें खुली है मगर सब धुंधला सा लगता है । साँस लेता हूँ यहाँ पे, चलता फिरता हूँ यहाँ …
फिर रूह को आज तेरा एहसास हुआ है तेरी य़ादों की तूफा में खुद को बरबाद किया है । तेरी आँखों से बूंद भी गिरने देता नहीं तेरे होठों …
वो जीना भी क्या जीना अगर जिंदगी में कुछ कम ना हो सब कुछ हो नहीं सकता तेरे पास तो सोच कर खुशी कम क्यों हो ? जीते तो …