Author: Preety Srivastava
हमारा शोषण कर के अपना गुरूर दिखाने वाले कहीं ऐसा न हो तेरी हसी पे लगाम हम लगा दें अपने घमंड में मुझको इतना बर्बाद न कर की तेरी …
अजब है ये दुनिया, यहाँ पल में ही हमने लोगो के इमान को बिकते देखा है रिश्ते नाते की कदर किसे है, यहाँ तो हमने दुल्हे के रूप में …
मन बावरा थोड़ा पागल सा है दिशा का इसको कोई ज्ञान नहीं कभी ये सख्त कभी पिघलता मोम सा है खुद पर इसका कोई ध्यान नहीं हलकी सी एक …
अक्सर बाबा कहते मुझसे बिटिया नहीं मेरा बेटा है तू और ये सोच के आँखें भर जाती मेरी बाबा ऐसा कहते हैं क्यूँ इसी सोच में बैठी थी एक …
मै क्या हूँ, कुछ भी तो नहीं जो कुछ है मेरी हस्ती है मै नहीं रुक पाती संग किसी के मेरी हस्ती ही सबकी यादों में बस्ती है मेरी …
इस पल की फिकर किसी को नहीं यहाँ जीने की परवाह तो है पर जाने जिंदगी है कहाँ हर पल में जीने वाले जाने कहाँ खो गए नए पल …
ममता की निर्मल काया लिए वो प्रेम रंग की है छाया उसकी आँखों में ही जैसे पूरा ब्रम्हांड है समाया कुछ कहूँ इस से पहले ही वो दर्द जान …
मेरा मानना इतना ही है बस नारी बिना, दुनिया बेकार है सारी यकीन ना हो तो एक बार सोचो पाओगे तुम खुद को भी इसके आभारी ब्रम्हांड में देखो …
क्यों न हो गुरूर मुझे खुद पे क्यों जियूँ बस तुझ पर यकीन कर के करता है जब फक्र तू भी अपनी झूटी नुमाइशों पे दिन वो लौट के …
नए साल में भूल न जाना बीते साल का जख्म पुराना दामिनी की वो दर्दे कहानी लाइ थी एक हवा तूफानी आक्रोश की आंधी थी जिसमे था बहती आँखों …
बड़ा ही खौफनाक निकला मेरी नादानी का लम्हा कमजर्फ लम्हा बन गया पल में ही मेरी लाचारी का लम्हा उस पल की कथा कैसे कहूँ वो दर्द बयां कैसे …
तन्हाई के साये में अक्सर, धड़कने साथ देती हैं मेरा दिल गम बाँट लेता है मेरा, यूँ ही मेरा मन बहला कर सन्नाटी रातों की खामोशियाँ, जब डराती हैं मुझे …
काश के हमे भी कोई फर्क न पड़ता उनके ख्वाइशों के बिखर जाने पर और यूँ ही हम मुस्कुराते रहे, मगर ऐसी आदत मेरी नहीं है काश के जख्म …
कई जख्मों से है भरी पड़ी मेरी जिंदगी की दास्तान कहने को साँसे है चल रही पर जीने से है कहाँ मेरा वास्ता ना कोई दवा काम आई ना …
चुनौती दे कर किस्मत को मन खुद में ही मगरूर हुआ दिल और दीमाग की कश्मकश में सपनो का आइना चूर चूर हुआ खुद को सँभालने की कोशिश …
एक भीड़ के संग चल रही थी अनजाने पथ पर बढ़ रही थी एक कश्मकश में पड़ी थी, मेरी मंजिल की जाने राह कहाँ थी आशा की किरणों की …
फूलों भरी क्यारी हूँ मै नर नहीं, नारी हूँ मै …. आकाश के इन्द्रधनुष का, है समाया मुझमे सात रंग हर एक कली में है भरा, प्यार का …
जस्बातों की गठरी सी बंधी हर रिश्ते की आग्हाज हूँ मै कुछ और नहीं बस एक लफ्ज है यारों इस दुनिया का अंजाम हूँ मै आसमा में जब देखो …