Author: Onika Setia
दिखने में तो इंसान हूँ ,मगर क्या वास्तव में इंसान हूँ ?न दिल अपना ,न दिमाग अपना ,जो जिधर कहे वहीं चला जाता हूँ ।कभी गाँव से शहर की …
एक दिल और सौ अफसाने ,कुछ जाने और कुछ अंजाने ।जैसे एक नज़र में लाखों सपने ,कुछ अधूरे और कुछ है अमल में ।अमल में क्या है ? बस …
यह क्या रोग लगाया है खुद को ए ज़िंदगी !,जिंदगी से कहीं पीछे छुट गयी तू ज़िंदगी ।कितनी हसरतें थी तेरी,और कितनी चाहते ,वो सब तुझसे क्यों रूठ गयी …
आज़ादी ! आज़ादी !आज़ादी !,बस रट लगा रखी है ‘आज़ादी ‘।इस लफ्ज की गहराई जानते हो ?आखिर क्या है यह आज़ादी ?ऊंची सोच और विशाल ह्रदय ,सयमित जीवन है …
लबों पर तो है तबस्सुम ज़रा सा मगर,दिल है ज़ख़्मों से भरा हुआ इस कदर ।गम-ए -दाग दिखा सकते हैं भला किसे? ,कोई हमदम नहीं है हमारा न हमसफर …
कलयुग का यह विनाशकारी रूप ,हमारा भाग्य हमें दिखा रहा .विकास का चेहरा दिखाते हुए ,इसका कदम तो पतन की ओर बढ़ रहा .ज्ञानियों से सूना था इसका बखान …
कितने ही ज़माने गुज़र गए ,मगर हम तुम्हें ना भुला पाए.तेरी तस्वीर पर सजदा किया,तेरी याद में दो अश्क बहाए.तेरे गीतों को जब सूना तो,कई मंज़र आखों के रूबरू …
यह बेजुबान जानवर,यह भोले जानवर ,इंसान की नियत से बेखबर ,यह मासूम जानवर .घर पर तो लाते हैं,बड़ा प्यार-दुलार देते हैं,लेकिन जब निकल जाये मतलब,तो सड़कों पर भटकने/मरने को …
यह झूठा दिखावा क्यों ? ( कविता) आदर है या नहीं अपनी माँ के लिए दिलों में , मालूम नहीं ! मगर दिखावा तो करते हो . साल भर …
हाथी के दांत हैं , दिखाने के ओर , खाने के ओर . और व्यवहार है ऐसा , कथनी है ओर , करनी है ओर . इन सियासतदारों की …
बेटी(कविता) बेटा है कुल दीपक , जिससे होता एक घर रौशन , दो कुल की रोशनी जिससे , बेटी है घर की रौनक . सुन लो ऐ दुनिया वालो …
नयी उम्र की नयी फसल(ग़ज़ल ) नयी उम्र की नयी फसल , बहकी हुई भटकी हुई नस्ल . नस्ल तो है यह आदम जात , भूल गयी जो अपनी …
आज़ादी की और पहला क़दम बढाया है बहुत होंसला तुमने अब गर दिखाया ह वोह कदम अब पीछे कभी मत हटाना अब जो बड़ी दिलेरी से कदम बढाया है …
मृत्यु के पदचिन्ह (कविता) कैसी निर्वरता छाई है ? ना कोई आहटें , ना किसी की परछाई है. कल ही तो यह स्थान था, जन सैलाब से भरा हुआ, …
तुम्हारे ही जीवन पर है अधिकार किसका ? तुम्हारा ? बिलकुल नहीं. तुम प्रयास करो सज्जन बनकर जहाँ में प्यार व् करुणा बाँटने का. सावधान ! तुम्हारे सर पर …
होश में आ ..! (कविता) ( नशे के गुलाम युवाओं के लिए ) ऐ नौजवान! जीवन बार -बार नहीं मिलता , यह मनुष्य -जन्म भी बार-बार नहीं मिलता . …
हाय यह क्या हुआ मेरे साथ . कैसा सितम हुआ जिंदगी के साथ. संजोये थे जो सपने मैने अपनी आँखों में, वोह सपने कहाँ खो गए? कल तक जो …
मर्यादा (कविता) आज की आधुनिक बालाओ ने , जबसे सर से चूनर हटा दियाै। . समाज ने मर्यादा का भी तब से , नामो -निशान इसका मिटा दिया। . …
सुनो ! मैं नहीं चाहती, की तुम मुझे मार्ग का कंकड़ समझो। और ना ही यह चाहती हूँ, की तुम मुझे मंदिर की मूरत बनाकर पूजो। पुष्प चढ़ाकर ,माला …
मुझे भारत कह कर पुकारो ना …..( कविता) मत पुकारो मुझे तुम India, मुझे मेरे नाम से पुकारो न , निहित है जिसमें प्यार व् अपनापन , मुझे भारत …
( पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश देती रचना ) ) गुल मायूस है …….. ग़ज़ल बाग़ में एक गुल को मायूस देखकर , हाल उसका पूछा पास उसके बैठकर , …
कुछ सवाल खुद से …….. कविता पूछते हैं सवाल अक्सर अपने देश से अनगिनित , चलो आज कुछ सवाल खुद से ही पूछ लें . है अपना देश प्रजातंत्र …
ज़माने की हवा .. ग़ज़ल आजकल मेरे वतन के गुलों के चेहरे क्यों है बदरंग ? मुझे बताओ क्यों है इतनी ज़हरीली ज़माने की हवा ? मगरिब से या …
बस एक अभिलाषा … कविता जन-जन के ह्रदय को देश-प्रेम जगा दो , भगवान् मेरे भारत की तकदीर संवार दो , हर युग में आये तुम लेकर भिन्न अवतार …
देशभक्त कौन ? { कविता } निज जननी के सामान , माँ भारती को दे जो सम्मान , उसके सुख ,यश व् मान हेतु एक करे अपने मन -प्राण …