Author: omendra.shukla
“ना खोया है वजूद हमने अभी तो इम्तिहान बाकि है जीते है चंग दिलों को तो क्या अभी तो सारा जहाँ बाकि है ||”
“छाती पीट जो चिल्लाते है आरक्षण की मांग सुनाते है दम नहीं काबिलियत में जिनके वो शुद्र गंवार कहलाते है , रखते भरोसा जो खुद के हुनर पे वो …
“हम वीर हिन्द के वासी है हमसे ना टकराना तुम हो जाओगे खण्ड-खण्ड प्रतिखण्ड हमसे ना टकराना तुम, क्या भूल गए उस सागर को एक घूंट में पी डाला …
“पैसठ साल बर्बादी भारत की सुध ना आई , गरीब लोग अर्धनग्न शरीर जलता पेट , मिटे गरीब ना गरीबी है मिटी सत्ता लोलुप , हुआ है दुःख सत्ता …
“गणतंत्र बन गया गँवारतंत्र अब कुछ लोगो के कुंठित विचारों से सच्चाई कर रही मुजरा कोठे पे अंधे कानून के उन राहों पे , हो गया बहुत ही बड़ा …
“कुछ दर्द पुनः जो आँखों में आंसू बनके आ जाते है जो अल्फाज बयां न हो लब्जो में उनको सहज ही बतलाते है , शिशक-शिशक उन बातों का रोना …
“पालनहार होता विमुख आज अधिकारों से , लुटते इन्हे प्रकृति और नेता बिखरे आंसू , पेट की आग खत्म होती उम्मीदे जलता पेट , प्रगति चर्चा ना सुहाए आखों …
“एक दुविधा सी मन में उठती है दिल असमंजस से भर जाता है ज्ञान की डोली में जब कोई विद्या की अर्थी छोड़ जाता है , करके शिक्षा का …
“भाग उठा होके परेशान जीवन के झंझावातों से दर्द बहुत है इस जीवन में हर पल चुभते है काँटों से , छोटी बातें,अधूरी यादें सब छूट यहाँ पे जाते …
“व्यथित मन विरह में फिर से हुआ है आज, सन्नाटा छाया चहु और पुनः है आवारा दिल , प्यार की बातें छलावा सा अतीत बीते सपने , तनहा वक्त …
“क्या मै कल लुप्त कहीं हो जाउंगी या दफ़न किताबों में हो जाउंगी देख शान अंग्रेजी का हिंदी फिर आज शरमायी है , परिचालन देख तेजी से युवाओं में …
“खुनी नदिया बहाते आजकल पापी इंसान | ना दया कोई ना करते रहम पापी इंसान | काटते सिर अपने ही लोगो का आतंकी लोग | नरसंहार मानवता के शत्रु …
“आज फिर से ये वक्त कुछ बेरहम सा लगता है क्यूँ बसंत का मौसम ये पतझड़ सा मुझको लगता है , क्यूँ महफ़िलों में छाया है तन्हापन क्यूँ संगीत …
सम्बोधन में शहीदों ने अपने कुछ इतर शब्द मांगे है आज ना कहना मुझको देशभक्त कुछ ऐसा सन्देश सुनाया है आज , जब गद्दार देशभक्त हो जाते है और …
“रचा है आज कुछ माया का जाल ये गद्दारो ने | किया भ्रमित पुनः देशभक्ति को लगाके बैर | खोंपा खंजर सीने में भारत के हसते लोग | आतंकी …
“होंगे पैदा जितने गद्दार हर एक को चुन चुन मारेंगे काटेंगे हर गर्दन उसकी जो भारत को दुत्कारेंगे , हर घर में मातम छाएगा जिस घर से अफजल आएगा …
“छोड़ चल दिए जंगल बाघों ने बाजों ने भी प्रवास की ठानी है बेवफा हुयी फिजायें है अब तो करने को बगावत हमसे ठानी है , देख तमाशा देशद्रोह …
“चलो सखी रे पाकिस्तान खूबसूरत है उसका संसार ना गंध वहाँ पे देशद्रोह की है सुन्दर बहुत उसके विचार , प्रशंसा करने पे भारतीय खिलाडियों की वहाँ देशद्रोही उसे …
“क्यूँ पाकिस्तान से लड़ते हो क्यूँ आतंकी उसे कहते हो पालते है गद्दारों को स्वयं तुम और बदनाम पाकिस्तान को करते हो , आतंक का अड्डा है पाकिस्तान जो …
“शर्मिंदा हुआ हो कलंकित आज गुरु सा शब्द | बने आतंकी गुरु जिस देश में ऐसा भारत | करते पूजा अफजल का लोग है आतंकी वो | कहते गुरु …
“माँ नहीं पढ़ना है मुझको अब ना विद्यालय मै जाऊंगा अनपढ़ रहना है अच्छा ना गाली तुझे मै दिलाऊंगा, पढ़-लिखके लोग जहाँ पे अपने ही देश को गाली देते …
“क्या खूब आज गद्दारी दिखती है खून में यहाँ | अपने लोग है लुटते अश्मत माँ बहनों की | मूक दर्शक बन जाते है हम सुनते गाली | देशद्रोह …
“ये गाली वीर शिवाजी को है फिर किसी ने प्रताप को ललकारा है आज क्यूँ नामर्द बने पड़े हो तुम क्यूँ सुध खोयी है तुमने आज , माँ कहके …
“क्यूँ छाती चौड़ी करते हो क्यूँ वीरता का दम्भ भरते हो गद्दार हुए है लोग तुम्हारे फिर भी ताव मुछो पे देते हो, बेच खा रहे नेता देश को …
“अपमानित हुआ है देश फिर बुरा संयोग | हुआ दूषित ये देश स्वजनों से बुरा संयोग | बन बैठे है जहाँ आतंकी देव क्या होगा अब | खंडित हुयी …