Author: नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
बाद जिंदगी यूँही ढल जायेगी…..बिना हरि नाम के जीने वालो,जाम मद मोह, का पीने वालों,जाप हरि नाम का करके देखो,जाम हरि नाम का पीकर देखो,गति सुधरेगी,ओ भोले पंछी,उम्र बाकी …
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरुजी के श्री चरणों मे समर्पित चंद दोहे….=======================साढ़ मास की पूर्णिमा,गुरु पूनम कहलाय ।गुरू ज्ञान की जोत से,तम को दूर भगाय ।।”गु”और “रू” के …
सुबह शाम मैं उसे रिझाऊँनैन पलक पर जिसे बिठाऊँबिन उसके दिल है बेहालक्यों सखि साजन?ना गोपाल घड़ी – घड़ी मैं राह निहारूँसुबह शाम नित उसे पुकारूँदरस …
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मिट्टी वाले दीये जलानाजो चाहो दीवाली होउजला-उजला पर्व मनेकही रात न काली होमिटटी वाले……………..जब से चला चायना वाला,कुछ की किस्मत फूट गयीविपदा आई एक अनोखीरीत हिन्द की टूट …
【व्यथित मन से उत्पन्न एक दर्द भरा नगमा】 मेरी जिंदगी मझदार में है, अब कैसे पार उतारू…. सोचता पल पल यही में, कैसे खुद को निकालूँ…. वक़्त भी कम …
?? आराधना ?? दोहा• प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश । यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।। सुन लो मेरी अरज भवानी । तेरी महिमा जग ने जानी …
मोहब्बत क्या होती है,ये तुमने बता दिया । कभी हँसाया हमे,कभी हमको रुला दिया ।। किया था काम वो,कि जीउ सदा फक्र से, तूने कफ़न उठा के,क्यों मुझको सुला …
पालीथिन से मर रही,गायें रोज़ हज़ार । बन्द करो उपयोग अब,नही जीव को मार ।। वर्षो तक गलता नही,नही नष्ट जो होय । दूषित पर्यावरण करे,नाम पॉलिथिन सोय ।। …
कविता लेखन सब करो,साध शिल्प अरु छंद । कविता खुद से बोलती, उपजे बहु आनंद ।। कविता लिखना सीखते,बड़े जतन के साथ । मुख को जोड़ा पैर से,धड़ से …
“लघु कथा : सच्चा प्रेम” “मेरा तीसरा प्रयास,सादर समीक्षार्थ प्रेषित” ____________________________ पिता की डाँट फटकार को सबहि उनकी नाराजगी समझते है,उनका गुस्सा समझते है,पर एक पिता का हृदय समझ …
??गजल : मेरी ख्वाहिश?? ★ ★ ★ ★ ★ देश की शान मैं यूं बढाता रहूँ । शीश झुकने न दूं मैं कटाता रहूँ । काट दूँ हाथ वो,जो …
प्रीत करी पुरजोर से,गए द्वेष सब भूल । हुआ अचंभा देख कर,शूल बने जब फूल ।। ==================≠======== चार दिना की जिंदगी,कर हरि का गुणगान । अंत समय पछतायगा,निकलेगे जब …
विषय : हिंदी साहित्य का उत्थान हिंदी और मेरे विचार हिंदी भाषा यह वो भाषा है जो हिन्दुओ के द्वारा बोलचाल और विचारों के आदान प्रदान के लिए सहज …
विधा : मुक्तक मापनी : 1222×4 चला चल चाँद के पीछे दिलो में प्रीत फिर होगी । निशा आई उजाले भर अमन की जीत फिर होगी । जमाना क्या …
★★मरुभूमि और महाराणा★★ पंद्रह सौ चालीसवाँ,कुम्भल राजस्थान । जन्म हुआ परताप का,जो माटी की शान ।। माता जीवत कँवर औ,तात उदय था नाम । पाकर ऐसे वीर को,धन्य हुआ …
पास तुम्हारे मोहन बैठा, नजरें कहाँ निहार रही ? कहाँ तुम्हारा चित है डोला, क्या तुम सोच-विचार रही ? सुन राधे मैं हूँ बस तेरा इसी बात का ध्यान …
हम आज़ादी के दीवाने है, ……. इंकलाब ही नारा है…. उतनी नही हमे जां प्यारी, …….जितना देश प्यारा है… बुरी निगाहे डालो ना तुम, ……..भारत की प्राचीरों पे.. खौला …
शीर्षक : विदाई गीत हरे हरे कांच की चूड़ी पहन के, दुल्हन पी के संग चली है । पलकों में भर कर के आंसू, बेटी पिता से गले मिली …