मुरशिद से अक्सर ये बाते सुनी है । nikhil 07/08/2015 निखिल No Comments मुरशिद से अक्सर ये बाते सुनी है । जुलाहे ने शिद्दत से चादर बुनी है । ग़म और ख़ुशी के पिरोए है धागे । इन्हीसे तो जीने के अरमान … [Continue Reading...]
यार मुझे भरपूर मिला nikhil 05/08/2015 निखिल 1 Comment गली मोहल्ला पार करूँ मैं, देखण को परदेस चला । ना तो मिलिया यार कहीं पे, ना दिल को सुकून मिला । जब-जब बाहर देखण लागा, यार नहीं कुछ … [Continue Reading...]