Author: महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
हम तुम्हारे पास आए, दूर तुम जाते रहे चार दिन का साथ था पर रोज़ तड़पाते रहे तुम समझ पाए हमें न हम समझ पाए तुम्हें कल सुबह …
४२३७. इक बार कोई लड़की नज़रों में समाई थी इक बार कोई लड़की नज़रों में समाई थी हम भी मुस्काए थे वो भी मुस्काई थी इक लमहे …
न परवाने मेरे नज़दीक आना नहीं मैं चाहती तुझको जलाना बहुत भोला बहुत नादान है तू अभी तुझको बहुत कुछ है सिखाना मेरे आगोश में गरमाई तो …
३९२९. कभी तुमने मिलने का वादा किया था, इसी वास्ते मैं जिए जा रहा हूँ कभी तुमने मिलने का वादा किया था, इसी वास्ते मैं जिए जा रहा …
माना कि तकदीर हमारी भारी है कर ली लेकिन लड़ने की तैयारी है जिसने दिल को जीता उससे जग हारा दिल की सुनना ही तो इक बीमारी है दिल …
जब याद अचानक माज़ी की परतों से कोई आएगी तब रिमझिम आँसू बरसेंगे और ग़म की बदली छाएगी मंज़र कोई दिख जाएगा, इक बर्ख बदन में दौड़ेगी बीते …
३८७३. गुमसुम सी बैठी कोने में नार अकेली सोच रही है गुमसुम सी बैठी कोने में नार अकेली सोच रही है कारण क्या है नारी ने सदियों से …
३८५७. हुआ साजन से प्यार हुआ साजन से प्यार हिया रहा न हमार जिया बोले धक धक चले जब भी बयार हमें छोड़ नहीं जाओ कीनी …
३८५२. कैसे भुला दूँ ग़म यही मेरी है ज़िंदगी कैसे भुला दूँ ग़म यही मेरी है ज़िंदगी दिन वो मुबारक था हुई जब इससे दोस्ती है ग़मगुसार …
जो दे गए थे रुसवाई वो बात पलटने आए हैं है अफ़सोस लिखा रुख पर नैनों में आँसू लाए हैं जिनके कारण छोड़ा हमने महफ़िल को दरबारों को …
३७७६. जो तीर जा चुका है वो कहता है कान में जो तीर जा चुका है वो कहता है कान में है दिल तेरा अटका भला क्योंकर कमान …
३७७०. दीवाना हूँ रास मुझे ये दीवानापन आया है दीवाना हूँ रास मुझे ये दीवानापन आया है मुझको है परवाह नहीं सबने मुझको ठुकराया है क्या …
याद उनकी जो आए तो रो जाए दिल आज उनकी जुदाई न सह पाए दिल अब न आएंगे वो भूल जा तू उन्हें आँसुओं की ज़ुबाँ से ये समझाए …