Author: Manjusha
जब से मोदी जी ने पाँच सौ और हजार ,के नोट रद्द करने का फरमान जारी किया है .पूरे भारत वर्ष पूरी तरह उथल पुथल मच गई है,उस के तरह …
परसों जब से मोदी जी ने ,पांच सौ और हजार के नोटों को ,रद्द करने का फरमान जारी किया है ,लोग एक ब एक गरीब नजर आने लगें हैं …
जिम्मेदारियों से निपट कर ,मैं इंसान बन रहीं हूँ ,जैसी जीने की थी चाहत ,अब बिंदास जी रही हूँ।ख्वाहिश थी ये पुरानी ,पर चली न मेरी मनमानी ,कुछ काम …
शांत रहिये, शांत रहियेयह शब्द क्यों चुभने लगे है आज कल ,क्या शांत रहने के लिए ही ,ईश्वर ने दी थी जुबान।गिला नहीं है कुछ भी तुमसे ,गिला है …
कभी नहीं चाहा था कि इतना व्यस्त हो जाऊँ ,या अपनी ही दुनिया में खूब मस्त हो जाऊँ ,कि अपने और अपनों के लिए ही वक्त न रहे।कभी नहीं …
लोग कुछ भी कहें ,मगर मै यह मानती हूँ ,कि बेटा बेटी में बहुत फर्क होता है ,बेटी का जहाँ दिल बसता है ,बेटे का वहाँ दिमाग चलता है।बेटे …
साथ तो हैं हम वर्षों से ,मगरबिलकुल रेल की पटरी की तरह ,साथ हैं भी , हम जुदा जुदा भी ,बिलकुल ही रेल की पटरी की तरह।ऐसा नही है, …
मेरे पति जब तक पति थे तो अच्छे थे ,मगर ऊपरवाले ने कुछ ऐसी साजिश रची ,कि मेरे पति को मेरा परमेश्वर ही बना डाला।ऐसी गड़बड़ ऊपरवाला अक्सर ही …
“रिश्ते ही रिश्ते ” यह विज्ञापन रेल से आते जाते ,पुरेपुरे भारतवर्ष में दीवाल पर छपा हमेशा ही दिख जाता है ,ऐसा लगता है कि जैसे कि किसी दुकान …
शांत रहिये, शांत रहिये यह शब्द क्यों चुभने लगे है आज कल , क्या शांत रहने के लिए ही , ईश्वर ने दी थी जुबान। क्या यह मेरी गलती …
हमारे ज़माने में नट का खेल , बहुत आम हुआ करता था , हर महीने पंद्रह दिनों में , कहीं ना कहीँ दिख ही जाया करता था। एक रस्सी …
शांत रहिये, शांत रहिये। यह शब्द क्यों चुभने लगे है आज कल , क्या शांत रहने के लिए ही , ईश्वर ने दी थी जुबान। वैसे तो मैं तुम्हारे …
कल जब किसी ने अचानक पूछा , कि कलयुग किसे कहतें है ? तो खुद को हिंदी का ज्ञाता समझने वाली , मैं थोडी देर के लिए तो सोच …
शांत रहिये, शांत रहिये। यह शब्द क्यों चुभने लगे है आज कल , क्या शांत रहने के लिए ही , ईश्वर ने दी थी जुबान। क्या शांत रहने के …
मेरे आस्तित्व की पहचान मुझसे खो गयी है , मेरी जमीं आसमाँ सी दूर हो गयी है। कल तक जिस जिंदगी को टूट कर चाहा था , आज वही …
क्या आपको नहीं लगता ? कि धीरे धीरे हम , अपनी जिंदगी से ह्यूमन टच,खतम करते जा रहे हैं। पहले जो काम इंसान किया करतेथे , वह आजकल मशीन …
कुछ वर्ष पहले की ही बात है , जब मैं गली की एक , सीलनभरी कोठरी में , रहा करती थी। और सीलन के कारण , दीवाल पर पड़ी …
मुझे तो शुन्य की तलाश है , शुन्य ही मेरा अहसास है , मिली इतनी खुशियाँ , कि आशा के फूल , खिल ही गए , मगर वोह आये …
एक थी प्यारी सी गुड़िया , थी फ़ैशन की वह पुड़िया , यूह तो वह समझदार बड़ी थी , पर स्वभाव से थोड़ा हठी थी। एक घटना ने उसके …
हर राखी पर कैसी यह सौगात दे दी , कि आँखों को कैसी यह बरसात दे दी , काली नागिन से लंबी काली रात दे दी , कि शह …
खुद ही खुद को ढूँढती हुई तेरी आत्मा हूँ मैं , दिन रात दबती ही रही वोह भावना हूँ मैं , बहुत रोका ,बहुत टोका ,बहुत दिल से निकाला …
जिंदगी बारिश की बूँद बन कर , बिखर जाए तो क्या हो? जिंदगी दूर खड़ी, दुल्हन सी , शरमाए तो क्या हो ? यूँ तो बीच बीच में, स्पीड …
भीगी पलकें ,खोई नजरें , रुकी रुकी सी जुबां , कैसे कहिये ,इस हाले दिल के बयां और भी हैं। लोग कहतें हैं ,कि आसां नहीं है जिंदगी का …
कविता तो मैं बहुत सुना चुकी, अब मैं अपनी कुछ कहानियां, कविता की जुबानी सुनाती हूँ. आप सोच रहे होंगे , कि मंच है काव्य का , और मैं …
आजकल कल मै जब , कभी भी बाहर निकलतीं हूँ , तो जिस एक चीज पर, मेरी निग़ाह अटक जाती है , ” वह है बैग ” स्कूल आने …