Author: Richa Yadav
क्यों लिखूँ मैं ? अपने इस जीवन के बारे में . कुछ बचा नहीं है तुमको अब बताऊँ क्या ? वो मीठे पल वो यादें खट्टी सब पड़ गयी …
मेरी माँ वो है जिसने है मुझको पाला हर मुसीबतों के पहाड़ों से उसने है मुझे निकाला. मैं बढू कदम दो कदम वो मुझको आगे बढाए मेरी हर तरह …
आँख बंद कर ढूंढती हूँ , मैं तो अब मेरा वो बचपन . मेरी उन धुंधली यादों में है खिला – खिला सा वो बचपन . जी लेती हूँ …
एक ओर दीपक जले , एक ओर आग पल भर में जल कर शरीर , बन जाता है राख . एक ओर सब रो रहे , एक ओर मुस्काय …
इस संसार में आते ही ईश्वर से मैंने है उनको पाया . उन्होंने मुझे एक पहचान देकर इस संसार से है परिचित कराया . दिया सहारा उन्होंने मुझको और …
आज पता चला मेरे दिल को की न्याय नहीं मिलता है सबको . जानकार दिल ये बहुत दुखी हुआ की एक निर्दोष को दोषी बना फ़ासी पर लटका दिया …
आज दिल सोचने पे हुआ है मज़बूर की उन मासूमों का क्या होता है कसूर . जो उन्हें वो खुशियां नहीं मिल पाती जिनपे होता है अक्सर हमें गुरूर …