Author: किशन ‘प्रणय’
जंग छिड़ी है किन लोगों में, फूट पड़ी है किन लोगों में, मन में द्वेष की लपटें लेती, आग बड़ी है किन लोगों में, जो भड़की या भड़काई है …
दोनों में फासला रखना था बहुत देर पहले से, जीने का हौसला रखना था बहुत देर पहले से, इक छोटे से गम ने रूह को झकझोर दिया है, गमों …
कुछ गलतियाँ, गुनाह बनने से पहले संभाली जाये, क्योंकि जेहन का इल्जाम महंगा पडता हैं। महफ़िलों मे जाओ तो ये बात याद रहे कि दोस्त का बढ़ाया हुआ हर …
द्वैत नहीं, अदैत भाव से, ना शब्द, ना ही संकेत भाव से। बन्ध मुक्त कर दे मुझको तु , रश्मि युक्त कर दे मुझको तु । तिमिर मिटा दे …
वो आंखों से तेरी पहली मुलाकात का सफर, बहुत मंहगा पडा मुझे ये ख्यालात का सफर, तुझे पाया या खो दिया,इसका अंदाजा नहीं है, अजीब होता है थोड़ा सा …
खुदा ने बख्शी हैं हमको जिन्दगी ऐसी, कि हम जिधर भी चले आफते हजार चले। तमाम रात इसी बात का ख्याल रखा, कि जब भी जाम चले साथ मे …
ये रास्ते मंजिल तक मुझे पहुंचाते नहीं हैं, हर तरफ जाते हैं मेरे घर की तरफ़ जाते नहीं हैं। इक आंसू की बूंद में अपना वजूद खो बैठे। और …