“अभी सांसे शेष हैं” kiran_navya 25/06/2012 किरन तिवारी 1 Comment अन्दर के अंधेरो से होकर, आती है कुछ किरणे; मेरे घर के आँगन में | प्रकाशमय लकीरें खिच जाती , भीतर के शुन्य तिमिर में | पर हम उससे … [Continue Reading...]
“अभी सांसे शेष हैं” kiran_navya 18/06/2012 अज्ञात कवि 1 Comment अन्दर के अंधेरो से होकर, आती है कुछ किरणे; मेरे घर के आँगन में | प्रकाशमय लकीरें खिच जाती , भीतर के शुन्य तिमिर में | पर हम उससे … [Continue Reading...]