Author: कपिल जैन
….गा रहा है चांद रजनी परी….. किसलय मे डोलता रहा अँचल, तन पर गहरी स्थिर लहरें चंचल प्रेम की रुनक झुनक सी नाद … करती हैं संवाद मन विभावरी …
अभिनन्दन अभिनन्दन है, अभिनन्दन, अभिनन्दन है, अभिनन्दन। साहस की इस बेला पर करते, हम सब जन मिलकर वंदन। ।सोभाग्य अपना है ये कि, आप हमारे बीच पधारे नहीं बता …
जाने कौन से गणतंत्र की बातें हर साल यूँ ही करते हैं हम इंसान कहाँ हैं मुझे दिखा दो जिनसे हक़ को लड़ते हैं हम जिसकी परिभाषा में ही …
भावों के कोरे कागज पर सूख गये है नयनों के रंग भावनाओं के उड़ते पाखी सतरंगी पाँखों से आखर आकर कब लिख जाओगे ? जी भर भाव बरसे आंगन …
दो चम्मच बारीक कटी हुई मुस्कुराहट मे, हल्की सी मद्धिम आंच पर कुछ दो चार दाने यादों के छिड़क । अंश्कों के तेल मे छौका लगा उम्मीदों का… बस …
लो फिर आया ये प्रेम दिवस प्रदर्शन का अनोखा दिवस सच अगर प्रेम दिवस है ये, तो प्रदर्शन की क्या आवश्यकता अंतर्मन की नैससर्गिक भावना को किसी सहारे की …
यूं तिनकों सी बिखरी मेरी ख्वाहिश खूबसूरत रात की दास्ताँ कहती है तेरे जाने के बाद भी पहरों तक मेरे लबों पे इक जुम्बिश रहती है केशुओं में तेरी …
बारिश में न रात जल्दी आ जाया करती है दुकान से घर लौटते वक़्त अँधेरा हो जाता है सड़क पर चारो तरफ भीड़ … ट्रैफिक का शोर…. तकरीबन पन्द्रह …
समय की सिलवटों मेंमेरे प्यारकी सीवन नहींउधड़ी हैसमय-समय परमिल कर हम नेउसकी सिलाई पक्की की है।फर्क बस इतना है किउसे जतानेया दिखाने कीछत की मुंडेर से चिल्लाने कीअब जरूरत …
शायद इस जिंदगी मेंएक ऐसा दिन भी आएगा जब हम एक दूसरे के साथ हँस सकेंगे कुछ पुराने किस्से याद करके मैं तुम्हें चिढ़ा सकूंगा कुछ पुराने गाने साथ …
भोर की किरणेंऔर उजाला निशा के चुंगल से जैसे बंद खिड़की केशीशे से होकरमुझ तकआ रही हैंक्या वैसे हीमेरे विचारों कीऊष्मा और गहनतातुम्हारे मन तकपहुँच पाएगीमेरा रोम-रोमजिस तरह जी …
“रफ्तार का नाम सफर है,धूप से तपती एक डगर है.थक कर बैठें प्लेटफॉर्म के नीचे,सूकून पा लें आँखें मीचें.अब वो प्यारे जगहा किधर हैं?लौटकर आ जा लोहे वाले ‘शेड’ …
आजकल मैं मन का करता हूँ। चुपचाप दिल में झाकां करता हु नजरे चुराता हुं और रूह को गुलजार की नज़्मों से सेंकता हूँ। हर सुबह तुम्हे भीगे बालों …
काश ज़िन्दगी भी एक स्लेट होती जब चाह्ता लिखा हुआ पोछ्ता और नया लिख लेता चलो ज़िन्दगी ना सही मन ही सेलेट होता पोछ सकता , मिटा सकता उन …
ex कुहासे की रजाई ओढे़ चुपके से निकालता है दिनकर चहलकदमी करके लौट जाता काश यादों को लौटने का भी हुनर सीखा जाती तू ऐ जनवरी -सुर्ख फूलों की …
.इस बार इस दुनिया सेमुझ से पहले तुम जाओगेनहीं ये बद्दुआ नहीं हैं मेरीये मेरी दुआ हैंअगले जन्म मे मुझे सेपहले तुम आओगेतभी तो अपनी इच्छाओ कीअपने प्यार कीअपनी …
सुनो मेरा ये भरम रहने दो कि तुम हो मेरे जीने के लिए ये जरूरी है. मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा कांधा. तुम्हारा सीना. तुम्हारा रुमाल. या कि तुम्हारे शब्द.. …
गोधूलि की बैला थीसब चुप थे सूरज अपने घर को लोटने की तैयारी कर चुका थाकहीं बूँद गिरी थीबादल पिघले थे चादं चुप चाप खड़ासहमा सा था न जाने …
अंधे जुगनुओं की बाढ़ में डूबकर खूजराहों की ख्वाब गाह मे रोते हुए अधमरे दीपकों को अगर तुम सुन सकते तो तुम्हे पता चलता कि प्रेम की सबसे सफल …
जो सर सरहद पर न झुका उस सर को कुचल ते देखा…. जिन हाथों को दुश्मन के गले दबाते देखा उन हाथों को मज़बूरी में जुड़ते देखा …
हसरतों के नाम बन बारिश की बूँद… काश कही से आ जाते तुम तो बारिश की बूँद की तरह, मन को दे जाते तसल्ली तपती रेत पर …
अब कहाँ से लाऊँ हर रोज़ नये लफ़्ज़, जो आपको,भायें कवितायें, आपको पसंद आयें हैं कहाँ, लफ़्ज, जो बयाँ कर पायें, दास्ताँ हम सब, और उन सबकी, असल …
1) न होता दुःख गर समझ पाता, स्वार्थी वादो को. 2) वादो की नाव डगमगाने लगी, मंजिल दूर. 3) नयन उठे, बेरुखी थी वादो में बरस गये. 4!) रात्रि …
अहंकार त्यागता है क्षमा सुसंस्कार पालता है क्षमा शीलवान का शस्त्र है क्षमा अहिंसक का अस्त्र है क्षमा प्रेम का परिधान है क्षमा विश्वास का विधान है क्षमा सृजन …
क्युं बेइज्जत कर दी जाती बहुत दुखी, स्तब्ध हु अपने मन हिन्दी हुं मै हिन्द की धड़कन रची बसी माटी मे कण कण राष्ट्रभाषा हु मे अपने ही आगंन… …