Author: kamlesh sanjida
’मैं बाप बन गया’ हां लगता है शायद, मैं बाप बन गया जिम्मेदारियों का अब, एहसास हो गया दिल भारी -भारी, और जिम्मेदार हो गया । हां लगता है …
फूल की गिला अचानक फिसला और गिराये था कुदरत का सिलाफिर उठा और चल पडाफिर किस बात की गिला ।। धूल मे ठोकरे मारता जा रहा थाकिसमत को कोसते …
बच्चों का बचपन, अब तो खो गयाहांथों में है मोबाइल , मैदान खो गयादिमाग तो है चलता, हेल्थ खो गयाखेलों के नाम पर, मोबाइल गेम आ गया ।। किसी को …
एक माँ बूढी सी, जाने कैसे गिर गई शायद किन्ही ख्यालों में, कहीं वो तो खो गई | अपनी व्यथा विचारते-२ , सड़क पार कर गई लकिन फिर भी …
पहले तुमने हमको है जलाया और हमको है पिया अब तुमको मैं जलाऊ और तुमको है पिया | तुम समझते हो क्या तुने मुझको है पिया यही तो भूल …
पथिक तूं थक मत कभी न तूं हारना जिंदगी के सफर में वक़्त को न काटना | अगर वक़्त बुरा हो तो उसमें भी मुस्कुराना भले ही मुस्कुराकर वक़्त …
जलेगी होली रोएगें पेड़ लोंगों की खुशियां , फिर जलें हरे -२ पेड़ फाल्गुन मास की हरियाली छायी होली के कारण हरे पेड़ों की श्यामत आयी | देश भर …
जय जय जय हो भारत तेरी तेरी गोद में खेलें हजारों नदियाँ गंगा यमुना कृष्णा कावेरी राम और कृष्ण् की प्यारी | यहाँ हर धर्म और जाति यहाँ ये …
प्रात: काल की बेला देखो फूल- फूल खिल उठता है ओस की बूंदें पड़ कर उसमें मोती सा चमकाता है | पेड़ – पेड़ और पत्ते – पत्ते खिल …
मंत्री जी ने कशीदे क्या कैसे कि, लोग खुश हो गये और बड़े -२ बोलों पर भी, वहाँ जयकारे लग गये | किसने क्या जवाब दिए , बस उसमें …
कहर गरीबी का देख मैं मैं तुमको आज बतलाता हूँ अपने ही इसी देश की व्यथा में सुनाता हूँ । मुँह से कहने में भी अब तो, मैं कुछ …
दिल की फ़रियाद में मिलता मन की आवाज में मिलता अपने अंदर को पहिचानो वो तो हरेक के ज्ञान में मिलता | उसको न जाने कोई जो जाने भी …
लाभ कराये वो हमें गलत करें उपयोग हम दुहाई दे टीo वीo को समय करें बरबाद हम | पढना लिखना सब छोड़ दिया बैठें उसके आगे फिर जब फेल …
अम्मा देखी मैंने गुडिया वो है अजब न्यारी गुडिया अम्मा ले दो मुझको गुडिया चार रूपये में आये गुडिया | झट से पैसा दे-दे मुझको मैं ले लूंगी उसको …
मैं हूँ काला बड़ा अनोखा मुझको सब पहचाने मेरी मनोहर छठा देखकर सबके दिल खिल जाते | आगे बढ़ता चला जाऊं मैं ठंडी- ठंडी पवन सहारे बढ़ता चलता चला …
पवन वेग से चलें वीर जब नभ सागर भी लहराता कदम पड़ें जहाँ पर उनके दुश्मन देख कर घबराता | ऊँचे-ऊँचे पर्वत लांगे उन पर अपना परचम लहराता आसमान …
बहती हूँ मैं मन्दम-मन्दम मेरे बिन न जी पता कोई मैं तो सबका जीवन हूँ सदा बहती रहती हूँ | मेरा काम है बहते रहना तुम्हारे मन को बहलाती …
दूर गगन में बैठा चँदा कितना खुश होता है देखे हमको प्यार से इतना पल- पल रूप बदलता है | कितना सुन्दर कितना निर्मल स्वच्छ चाँदनी है तेरी तन-मन …
कल- कल करती रहती हूँ पत्थरों से टकराती हूँ रुकना मेरा काम नहीं सदा बहती रहती हूँ | गंगा यमुना कृष्णा कावेरी अनेकों मेरे नाम हैं उत्तर दक्षिण सब …
एक डाल पर बैठा कौआ सोच रहा था दिन भर की आज कहाँ पर जाना मुझको भोजन की खोज में | जाता हूँ मैं एक नगर में वहाँ है …
पर्वत के शिखरों से चल कर जो हम तक पहुँच पातीं हैं नील गगन की शोभा न्यारी मेरी किरणों से हो जाती है | पर्वत पर जमी बर्फ को …
हर तरफ वकील, डॉक्टर और इंजीनियरिंग के कालेज खुल रहे हैं लाखों की संख्या में बन- बन कर, उनसे हर रोज बाहर आ रहे हैं | नौकरी के नाम …
सौदे भी शहीदों के अब तो इसने कर डाले अपने देश की धरोहर को भी विदेशों में गिरवी कर डाले | अंग्रेजों के दलालों को देश भक्त बना डाला …
जाने कैसे- कैसे दीवाने थे जो शूली पे चढ़ गये देश की आन के लिए अपने आप को मिटा गये | जाने कितने अरमानों की वो तो होली खेल …
प्लेसमेन्ट एजेंसी धड़ल्ले से चल रही हैं क्यों कि बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही हैं तीन से छ महीने की सैलेरी एडवांस ले रहे हैं और खूब प्लेसमेन्ट करा …