रुठते वो रहे, हम मनाते रहे काजु निषाद 07/01/2013 काजु निषाद No Comments रूठते वो रहे, हम मनाते रहे। और हर गम गले से लगाते रहे॥ वो शितम पर शितम हम पे ढाये मगर। हर शितम सह के हम मुस्कराते रहे॥ बाँट … [Continue Reading...]