Author: kaanakshrivastava
इस भरी दुनिया में खो सा जाता हूँ कभी यहाँ कभी वहां डूब सा जाता हूँ उगते सूरज की लालिमा को रोज ही देखा करता हूँ करने को उसे …
इस दुनिया में आ कर जीना होता है कभी मर कर कभी जी कर हंसना होता है हम अपने वक़्त के थपेड़ो को भी सहते है हंस कर दूसरा …
मै खड़ा था तन्हा एक तरफ तू खड़ी थी तन्हा एक तरफ और था जमाना खड़ा एक तरफ तू जो मुझको पुकारती जोर से मै हो जाता फट से …
लगता नहीं यह अपना शहर तुमसे क्या कहु झुलस रहा दिल आठो पहर तुमसे क्या कहु लगायी है हमने हरियाली घर के चारो तरफ ठंडक फिर भी न पहुंचे …
मैंने अपनी हथेलिया फैलाई तो लगा मेरे हाथ काफी छोटे है और अंजुरी और भी छोटी और सामने फैला है भविष्य का सागर निःसीम अनंत मैंने अपनी आँखे उठाई …
रात भर सर्द हवा चलती रही रात भर हमने अलाव जलाया मैंने मांझी से किये खुश्क सी शके काटी तुम ने भी गुजरे हुए लम्हों के पत्ते तोड़े मैंबे …
साँसे थक थक कर चलती रही रात भर रौशनी यूँ ही पिघलती रही रात भर एक कोहरा सा शीशे पर छाया रहा बर्फ पर्वत पर पिघलती रही रात भर …
तुम गए कब यह मुझे आभास तक होता नहीं मै तुम्हारे आगमन की आहट सुनता रहा हूँ यह सदन पाकर तुम्हे जैसे की पूजा घर हुआ है और यह …
रिश्तो की चर्चा में जो दस्तूर की बात करेंगे | कोहिनूर को छोड़ , कोयले की बात करेंगे | अपने आस पास जब कुछ दीखता नहीं | किस हौसले …
मन में करता रहता है दस्तक बार बार कोई मेरे गीतों को अपने स्वर में ढालता बार बार तुम ना सही मै ना सही कोई तो सही आता रहता …
यह फूल मुझे कोई विरासत में मिले है क्या तुमने मेरे काटो भरा बिस्तर नहीं देखा फूल से आशिकी का हुनर तो सीख ले तितलिया खुद ही रुकेगी सदाये …
रिश्तो के इस भीड़ में अंजना सा खड़ा हूँ मै अपनों के ही बीच मे अपनापन ढूंढ रहा हूँ मै यह अजीब सी विवशता है मेरी कहने को तू …
कोई मासूम ख्वाब है लड़की जिल्दवाली किताब है लड़की है सितम आपका हमारा जो हर जगह लाजवाब है लड़की सारे रिश्ते गुनाह है उसके सबके बदलते हिजाब है लड़की …
तिनको ने तुके जोड़ी पत्तो पे नशा छाया शायद किसी गजल ने फिर अपना घोसला बनाया कुछ दूर बज रही थी जो मंजरी लयो की झुक कर उसी का …
जब तक शब्द नहीं मिलते कविताये लिखी नहीं जाती बेवजह कलम को कागज़ पर फेरने से क्या होगा चिंदी चिंदी करके बटोरता हूँ मेहनत से पुराने लम्हों को करने …
अँधेरे में कोई खुद को तलाशता नहीं हवा खुद आती है कोई लाता नहीं आसमान पर चमकती बिजली असहाय है ,कड़क के गिरती है कोई संभालता नहीं | धुएं …
KARNE KO HAI KAAM KADODO, HAA KARNE KAA MANN TO HAI | BHIDNE KI AATURTA ITNI HAI KOI DUSHMAN TOO HOO | HAITH PAIR SAB THIK THAAK HAI, ROOP …
जब से मिला हूँ तुमसे अच्छा लगता है हर चेहरे पर तेरा ही चेहरा अच्छा लगता है हर एक धागे पर छापः है तेरी मेरे हर खून पर खुश्बू …
SOTCHTAA HUNN KIS TARAH AB DIN BEETANA THIK HAI AB TUMHARA MUJHSE DUR JAANA THIK HAI PHULO ME WOH SUGANDH AATI NAHI RISHTO ME WOH DARD DIKHTA NAHI PHIR …