Author: Gumnam Kavi
प्रतिध्वनि **************** आसमान को देख, सहसा निकली चीख़ शून्य को चीरकर व्योम के छोर से टकराने चली गई, परंतु कहीं से भी प्रतिध्वनि नहीं हुई ! ******************** -गुमनाम कवि …
जग मिथ्या; शून्य सत्य ******************** सृष्टि में तारों का बनना और तारों का मिटना एक सतत प्रक्रिया है अनंत आसमान में असंख्य तारे हैं और उनमें से हमें नज़र …
आवागमन ******************** शून्य अवस्था है ‘कुछ भी न होने की’ कुछ भी न रहे जब शेष तब रहता है शून्य शेष शून्य को महसूस करने के लिए जरूरी है …
शून्य : पूर्ण रिक्तता ******************** शून्य अवर्णनीय मगर अवस्था है यह पूर्ण रिक्तता की एक अनुभूति है यह सबकुछ हो कर भी कुछ न होने की और कुछ न …
सोच *********** मेरी सोच बहुत बड़ी है यह बनी है अणु समान छोटे छोटे अनंत बिंदुओं से मेरी सोच के हरेक बिंदु में समा जाता है अनंत ब्रह्मांड मेरी …
शून्य के बीज ******************** जीवन में मुझे मिला शून्य हासिल स्वीकार कर शून्य को काट कर खा लिया फल की तरह काटने पर शून्य में निकले थे कुछ कड़वे …
मन है समंदर ******************** एक समंदर है हर एक मन के अंदर देखा हमने डूबकर अपने अंदर हद से ज्यादा गहरा निकला मन का समंदर डूब गए हम समंदर …
बादल ******************** आसमान में होता है बादल का जन्म आसमान में जन्मा रहता है सदा आसमान में ही नहीं उतरता कभी ज़मीन पर नहीं नहाता नदी या ताल में …
नदी की अभिलाषा ******************** पहाड़ से होता है नदी का उद्गम पसन्द है निरंतर बहते रहना सदा आगे की और बढ़ते ही रहना नहीं पसन्द कहीं पर रूकना नहीं …
बीज का सत्य ******************** ज़मीन में बोया बीज एक दिन बन जाता है पेड़ पेड़ का अस्तित्व ज़मीन के अंदर भी ज़मीन के बाहर भी पेड़ का विस्तार ज़मीन …
ज्ञान ******************** ज्ञान एक समुद्र है जल से लबालब भरा हुआ प्यासा था मैं प्यासे थे आप भी मैं दो घूँट पी पाया आपने पिये सौ घूँट मेरी प्यास …
ब्रह्मांड का विस्तार ******************** हमारा सौरमंडल बहुत छोटा है आकाशगंगा में हमारी आकाशगंगा में हैं अरबों तारे, जिनके हैं अपने अपने सौरमंडल इस आकाशगंगा का विस्तार माना गया है …
अनंत बनाम शून्य ******************** काम और धन सभी को चाहिये अनंत, पर नहीं मिलता किसी को भी अनंत अनंत नहीं मिल पाता अनंत कोशिशों से भी इसीलिये बना रहता …
सत्य बनाम असत्य ******************** जो नज़र आता है, ज़रूरी नहीं कि वह सत्य हो और जो नज़र नहीं आता है ज़रूरी नहीं कि वह असत्य हो ! जो नज़र …
अजन्मा समय ******************** एक एक करके अभिलाषाएँ जन्म लेती गईं एक एक करके अभिलाषाएँ मरती चली गईं अपनी मौत मर न पाईं, जो अभिलाषाएँ एक एक करके आत्मघात करती …
भक्ति की शक्ति **************** मेरे साथ प्रभु ने खेला क्रिकेट का खेल अनंत विशाल स्टेडियम में मध्यस्थ आकाशगंगा को बना दिया गया पिच और अनंत ब्रह्मांड की काल्पनिक सीमा …
प्रकाश के स्रोत ************************ प्रकाश जब आगे से आता है तब पीछे बनती है परछाई और जब यह पीछे से आता है तब आगे बनती है परछाई हमारी परछाई …
बिन मंजिल का राही ************************ पता नहीं कौन था वह जो चला जा रहा था मुझसे आगे आगे बिना सोचे बिना विचारे बिना देखे आगे पीछे दायें बायें चला …
आहार ************************ आप हैं माँसाहारी और मैं शाकाहारी आप पालते हैं मुर्गा, बकरा और सुअर अपने भोजन के लिए मैं उगाता हूँ अनाज, दाल और सब्जियाँ अपने भोजन के …
आशियाँ ************************ गुज़रे वक़्त में बहुत आँधियाँ चली थी आँधियों में उड़कर मेरे पास आ गये थे कितने ही तिनके न चाहते हुए भी बन गया था मुझसे छोटा …
शून्य न्याय …………………………………….. कहते हैं इस जन्म के पापकर्मों की सजा तय है इसी जन्म में अगले जन्म में या जन्म जन्मांतरों में मिल रही है इस जन्म में …