Author: गौरव 'गाफिल'
पलको पे दर्द जिन्दगी का ढो रहा हू मै और प्यार बार बार दिल मे बो रहा हू मै वादा किया था उसने वो घर आएगे जरूर उस दिन …
रोना भी हमने चाहा तो रोया नही गया. फूलो के बिस्तरो पे भी सोया नही गया. जब प्रीत के वो गीत टूटकर बिखर गये. फिर हमसे कोई शब्द पिरोया …
कौन कहता है गाफिल उम्र का तन्हा सफर है. हर कोई बस असलियत से बेखबर है. चाहे हो आपका गन्तव्य कोई, राह कोई. सोचिये हर सफर का रास्ता तो …
कर्ज ….. एक होटल मालिक ने बैरे को डान्टा, धर दिया चान्टा, बोला मूर्ख ये क्या करता है? जो आदमी बिल नही भरता, तू उसकी प्लेट क्यू भरता …
एसा लगा जैसे कोई तूफा गुजर गया, आखो के रास्ते मेरे दिल मे उतर गया, शातिर है, हरकती है इतना यार हमारा, चूहो की तरह दिल के किनारे कुतर …
करोड़ोँ झूठ बोलेँ हम, पर उनको सच्चे लगते हैँ। मगर ये प्रीत के धागे हमेँ क्यूँ कच्चे लगते हैँ। ये दोष नज़रोँ का है उनकी या हमारी खूबी। जिसे …