Author: Santosh M Gulati
लो चौदह नवम्बर आ गया,चाचा नेहरु की याद दिला गया, बच्चों का मनभावन,बालदिवस फिर आ गया, सिर पर टोपी,अचकन में गुलाब समा गया, मोती का वह लाडला,लोगों को लुभा …
चाचा नेहरु ला जवाब,खिलता हो जैसे गुलाब, मोती की आँखों का तारा,था जन-जन का प्यारा, सीधे सादे दिल के सच्चे,बच्चे उनको लगते अच्छे, बच्चे उनको करते याद,चाचा नेहरु ला …
माँ यह जीवन का कड़वा सच है सब को संसार छोड़ कर जाना है मेरी माँ को भी छोड़ कर जाना पड़ा मुझे सूनापन सहना पड़ा घर का हर …
जयतिजयश्रमकीजय–जयहो। जयतिजयश्रमकीजय–जयहो॥ … भूखाकोईरहेनजगमें, प्यासाकोईनसोए। छतनसीबहरजनकोहोवे, व्याधिनकोईढोए। खुशियोंकासंसारबसेहरप्राणीनिर्भयहो। जयतिजयश्रमकीजय–जयहो॥ जीनेकेअवसरसमानहों, पीड़ितरहेनकोई। माँग–पूर्तिअनुपातसहीहो, काटेफसलजोबोई। सत्ताजिसकेहाथमेंहोवहकभीननिर्दयहो। जयतिजयश्रमकीजय–जयहो॥ जोश्रमकरेवहीफलपाए, यहनियमनअपनाएँ। श्रमसे ‘शून्य‘ समस्याओंके, बादलछितराजाएँ। संकल्पोंकोपूराकरनेकादृढ़निश्चयहो। जयतिजयश्रमकीजय–जयहो॥ C.M.UPADHAYE
राम के सहयोगी — वन के प्राणी दशरथ पुत्र राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ , छोड़ अयोध्या चल पड़े वनवास, चौदह बरस करना होगा उनको जंगल में ही वास .१ गोदावरी तट पर कुटिया बनाई, राम लाते फल सीता मन को है भाई , रक्षा करते लक्ष्मण रातों को भी नींद न आयी -2. बीते कई सावन वर्षा ऋतु मन भाई , मिले ऋषि मुनि और उनकी बातें सुहाई , पशु विचरते ,पक्षी चहचहाते कोई दुविधा ना आयी -3 शूपर्णखा ने आ कर लक्ष्मण से अपनी नाक कटवाई …
आओ देखें पक्षिओं का मेला है, छोटे बड़े रंग- बिरंगे पंखों का मेला है. कांव-कांव करता कौआ आया सब का दादा, पहन कर कोट काला बातें करे ज्यादा, एक …
आओ देखें पक्षिओं का मेला है, छोटे बड़े रंग- बिरंगे पंखों का मेला है. कांव-कांव करता कौआ आया सब का दादा, पहन कर कोट काला बातें करे ज्यादा, एक …
नन्ददुलारेयशोदाकेप्यारे नन्द दुलारे यशोदा के प्यारे, सांवरे सलोने हे कृष्णा। कानों में कुंडल गले में माला, कटी पीताम्बर ओडे दुशाला, सिर पर पंख लगावे हे कृष्णा . कालीया को पाठ पढ़ाया, उंगली पर गिरिराज उठाया, पूतना को स्वर्ग पहुँचावे हे कृष्णा. ग्वालों …
हाय- हाय! परीक्षा आ गयी घर में चुप्पी है छा गयी , टी . वी रेडियो,मोबाइल बंद हो गए , खाने -पीने पर पाबन्द लग गए .1 अगर थोड़ा आराम करना चाहें , माँ -बाप आग बबूला हो जाते हैं . सैर …
अगर मन्थरा न होती अगर मन्थरा न होती ,तो कैकेयी दो वर न मांगती , अगर कैकेयी दो वर न मांगती , तो राम वन न जाते , अगर राम वन न जाते , तो दशरथ न मरते , अगर दशरथ न मरते , तो तीन रानियाँ विधवा न होती . अगर राम वन न …
तेरे बाद तेरे जाने के बाद ,घड़ियाँ इंतज़ार की हुई नहीं समाप्त , समय बीता जाए , क्या करूँ हाय , समझ में न आये | कहाँ गए तेरे वादे मिलेंगें सांझ –सवेरे ,घर की छत पर , या गली के किनारे , किसी खेत में ,या नदी किनारे ,कैसे भूलूँ वो घडियां , …
बीत गई सदी बीसवी, इक्कीसवीं सदी में नारीअपना स्वरूप है बदल रही, सर्वत्र अपनी धाक है जमा रही ॥1 बचपन से कुशाग्रबुद्धि और परिश्रमी, सर्वत्र अपना अधिकार है जता …