Author: Rajnish Sharma
तोड़ा है सिर्फ एक तारा अभी, अभी तो लूटना ये आसमान बाकी है, देखे है चन्द ही नज़ारे अभी, अभी तो सारा ये जहान बाकी है, हिला के रख …
मैंने कई बार चाहा की तुमसे कहूँ मुझे एक शाम सिंदूरी दे दो ……! मैं थक चूका हूँ, टुकडो में जीते हुए, मुझे एक जिंदगी पूरी दे दो ….! …
सच्चे प्यार का अब, फ़साना नहीं रहा, शमा में जल जाये, वो परवाना नहीं रहा, शायरी रूह तक पहुंचे, तो कैसे पहुंचे ? अब मीर और ग़ालिब का जमाना …
दिल में गम लबों पर मुस्कान रखतें है, भीड़ में अपनी अलग पहचान रखते है, फकीरों के ठाठ हमने अपना लिए, पैरों में जमीं सर पर आसमान रखते है, …
ज़िन्दगी जीने का कभी कभी यह राज़ भी होता है, एक ख्वाब टूटने के बाद ही दूसरा कोई ख्वाब होता है ! हो सके तो मेरी तरह भी जीकर …
यह जीवन की एक त्रासदी ही है , जहां हम जीते जी मर रहे है और हर रोज़ अपने अन्तर्मन को मार रहे है | हम अपनों के बीच …
किसको अपना कहे , किसको अपना बनाये ,हर चेहरे के पीछे एक और चेहरा है ,कुछ लोगो से ज़ख्म मिले है ऐसे अतीत का दर्द बहुत गहरा है !!भले ही …