‘मैं ‘गांव’ हूं’ Aditya Shukla 15/04/2013 आदित्य शुक्ला No Comments मैं ‘गांव’ हूं, पर वक्त की मार से, बदल रहा हूं हर पल, पल-पल खो रहा हूं, अपना अस्तित्व, मेरी तालाबों पर, बन गए हैं महल, खेतों की हरियाली, … [Continue Reading...]
क्यों रे अमलतास Aditya Shukla 08/04/2013 आदित्य शुक्ला No Comments क्यों रे अमलतास, निकल गई न, तेरी सारी हेकड़ी, कुछ रोज पहले तक, बहुत गुमान था, तुझे अपने वासंती यौवन पर, तुझ पर ही तो छाया था, अद्भुत वासंती … [Continue Reading...]