Author: DAYANANINDU
वैलेंटाइन डेना धरम, ना करम, ना कोई रस्म -रिवाज और ना जहां उम्र का बंधन।हर सांस, हर धड़कन में होता जहां वैलेंटाइन डे का वंदन।।हसरतें लिए आंखों में सजदे …
विनिविनय के वि, निवेदिता के नि से हुई विनि नाम की कृति।पापा की सादगी और मम्मा की शालिनता ही है उसकी प्रकृति।।चेहरे का उसका ऐसा कमप्लेक्शन।पूनम की रात में …
खुद से ही दूर हुए जा रहा हूंजिनके दिलों में रहते,पास उनके ना होने की मजबूरी है।घर जिनके हैं पास,उनके दिलों से कितनी दूरी है।इन गैरों की बस्ती में …
ख्वाब- अस्तित्व में होने कीरगों में मेरे बहता जुनून था।तभी माथे पर भी,कुछ कर-गुजरने का सुकून था।औकात से कुछ बड़ा करने की चाह थी।आंखों में दिखती लबासना की राह …