Author: davendra87
मद्धिम होता उजियाराबुझ रहा चाँद सूरज हारानिशा बिलखती जुगनू खोजेकाल क्रम न किन्तु पसीजेबेबस बेसुध अवाक पड़ीबिधना ने कैसी रची घड़ी।इस घड़ी कहाँ तुम हो प्रियतमचिंता में व्याकुल है …
मैं नन्ही मुस्कान तुम्हारीमुस्कानों की वजह न छीनो,सोन परी की कथा कहानीनानी माँ की जुबां न छीनों।दादी दादा चाची चाचा भइया भाभी काकी काका, सांझ ढले आँगन मे जमघटरिश्तों …
नन्हे कदमों से छम छम बजती पायल की झंकारठुमक ठुमक कर चलती बिटियाकरती है सबका मनुहार।माँ की ओर इशारा करतीमाँ मुझको आँचल में ले ले।मेरी मुस्कानों से अपनीखुशियों की …
तुम यूँ अचानक छोड़ गएसब रिश्ते नाते तोड़ गएअब गीत लिखूं किसकी खातिरकिसकी खातिर नग़मे गाऊँपर्वत सी पीड़ा आ पहुचीविपदा की क्रीड़ा आ पहुचीहुंकार भरूँ किस साहस सेकिस साहस …
अंश है परमात्मा काज्यों सागर और बूंदेमाया की है इक नदी मोह जीवनधारा है।आत्मा का सच यही हैयही ज्ञान सारा हैघटाकाश है और नभ हैदोनों ही आकाश हैकिन्तु घट …
छोड़ गए तुम हमको तन्हालेकिन इतना ध्यान रहेपीड़ा को मुस्काने दूंगीतुमको दूर न जाने दूंगी।बीच भंवर में तुमने छोड़ाहर बंधन हर नाता तोड़ामधुमय जीवन की आशा कोग्रहण लगा इस …
अपनी आंखों के ख्वाबों को घुट घुट कर यूँ मरते देखा,हिन्दोस्तां को अंगारों पर मैने रोज सुलगते देखा।अश्रुमयी क्षत विक्षत विखंडित भारत माँ का दामन है,बच्चों की किलकारी वाले …
राजनीति किसे फर्क पड़ता हैकौन झूठा कौन सच्चा है,जिसमें स्वार्थ सिद्ध हो जाएवही तो अच्छा है।स्वार्थ ही वर्तमानराजनीति का मानक है,भ्रम है कि ये बदलावअचानक है।ये तो अनुक्रम हैसामाजिक …
गुलिस्ताँ (साहित्य की फुलवारी)-मेरी नजर मेशब्द में ही फूल हैंशब्द में कलियां भी हैशब्द में ही रास्ते हैंशब्द में गलियां भी हैशब्द में ही है बहारेंशब्द में खिजा भी …
झूठ का दौर है झूठा हर ठौर है मेरे सच को ठिकाना मिलेगा कहां जब तलक तेरे दिल मे हूँ महफूज़ हूँ तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां धूप …
मेरा वहां होना उसे खल गया वो बिना आग के ही जल गया मैं तो वैसा ही रहा जैसा था ये तो वक़्त है जो बदल गया ठोकरें बहुत …
*बस इतनी सी बात हुई है*बस इतनी सी बात हुई हैबातें सारी रात हुई हैसुलझे थे जो उलझे हैं अबकैसी ये मुलाकात हुई है।प्रेम मुखर होता है जब भीखामोशी …
लहजे में फिजा मेंमिठास है घर मेशीतल सुमन सुवास हैप्रभास है घर में।गमो की घुड़दौड़ परनन्ही लगाम हैसुबह सुहानी मदमस्त शाम है।हवा सम्हल जातुनकमिजाज है घर मेंपंख नही है …
लब खामोश रहे लेकिन ख्वाहिश गूंजी सूने भवनों मेंतेरी आँखों के दो आंसू आ टपके मेरे नयनों में।तेरा मेरा नाता क्या है सिसक सिसक कर पीड़ा रोयेमुस्कानों से क्षमा …
अभी तो ये खेल खेला जाएगातुम्हारे पीछे सारा मेला जाएगाखुश है वो शख्स महफिले यार मेंदेखना शहर से अकेला जाएगामंजिल की ओर बढ़ चौकन्ना रहदर कदम पीछे से ढकेला …
*अंध विश्वास*यूँ तो उन दिनों आज वाले ग़म नही थेफिर भी बहाने बाजी में हम किसी से कम नही थेजब भी स्कूल जाने का मन नही होता थापेट मे …
*हम और तुम*जहां की रंजिशों में प्रेम के गीत रचेंगे हम और तुमअब यादों के राजमहल मेंरोज मिलेंगे हम और तुमतुम्हारे सुरों के संगीत पर थिरकता मिलेगा हर कोनाकमरे …
ठहर जाओ चाँद तारोंठहर जाओ रातठहर जाओ साजनअभी देर है बहुतहोने में प्रातकर लेने दो मुझेमेरे हिस्से का श्रमजानती हूँ नही हैऔर कोई उपक्रमवक़्त की इक इक पाईकमाने दोकतरा …
भारत माँ की भाषा हिन्दीकवियों की अभिलाषा हिंदीख्वाब संजोए अंतर्मन कीमधुमय शीत सुवासा हिन्दीअखिल विश्व में है सम्मानसार्थक सकल प्रतिष्ठावानदेश काल से परे कांतिमयअनुपम सी उल्लासा हिंदीमाघ महाकवि का …
बापू अपनी छाया का हमको भी आशीष कमल दोहम नन्हे सत्पथ के राहीसत्पथ का साहस संबल दोचक्षु पटल के बाहर भीतरअच्छाई देखे हम हर पल ।मुख से सत्य वचन …
हां ये वही खेत है वही आम का पेड़ हैजिसकी टहनियों की बाहें थामेमुस्कुराती हुई सी तुमबेहद चंचलता से टहनियों के बीच सेझांकतीमुझे आवाज देतीउस एक पल को कैद …
टूट गए सब नेह के नातेटूट गया विश्वासअर्थ नही फिर जीवन काना बाकी कोई आसअब पीड़ा को अपनाने दोना रोको मुझे अब जाने दोदीप जलाया जो दुख कारोशन है …
सावन सूना पनघट सूनासूना घर का अंगनाबहना गई तू कहाँ छोड़ के।दिन चुभते हैं काटों जैसेआग लगाए रैनाबहना गई तू कहाँ छोड़ के।बचपन के सब खेल खिलौने यादों की …
“लोग कहते जिसे मेरी दीवानगीवो तेरे इश्क़ की इंतहा है सनम।तुम भी गर इसे आवारगी का नाम दे दोगेरहनुमा कोई इश्क़ का मेरे बाद न होगा”मेरे आंसुओं से पूछो …
इज़हार-ए- मोहब्बत का होना उस दिन शायद मुमकिन थावैलेंटाइन डे अर्थात प्रेम दिवस का दिन थाकई वर्षों की मेहनत का फल एक कन्या मित्र हमारी थीजैसे सावन को बादल …