Author: shiv charan dass
कभी भी किसी से नजर मत चुराना अगर हो सके तो सदा मुसकुराना . हैं अपने ही रंगीन सपनो मे खोये उन्हे बहुत हल्के से छूकर जगाना. गमों की …
जर्रा जर्रा ना बिखेरा तो मजा क्या है कोई मासूम ना घेरा तो सजा क्या है. सिर्फ इतनी सी ही है फरियाद हमारी या खुदा बतादे कि तेरी रजा …
वक्त नहीं चलता इन्सान गुजरता है इन्सान समझता है वक्त गुजरता है. जितना भी चढे सूरज आकाश के सीने पर सुबहा निकलता है पर शाम को ढलता है. मेरा …
तुम्हारी खूबियां हमारी खामियां हैं फासले इतने अब हमारे दरमियां हैं. उस तरफ कालीन हैं ईरान के इस तरफ धूल भरी पगडंडिया हैं . उनकी हंसी भी हमारी मौत …
जिनकी आंखों में पत्थर हैं सच कैसे सह पायेगें उनके खुद के शीश महल हैं ये कैसे समझायेगें. चेहरे पर गहरी मायूसी नजरों में मक्कारी है कातिल हंसकर आते …
शैतान यूं शिकार पर आयेगें बार बार चेहरे नये उधार के लायेगें बार बार. बहुत मासूम हैं कलियां बहल जायेगीं कसमें वो झूंठे प्यार की खायेगें बार बार. दिल …
कल की शूली पर खुशी है आज की अब कहां गुंजाईश भला फरियाद की. खामोशियों का दर्द पहचानता है कौन आजकल खातिर है बस आवाज की. चांदनी भी छानकर …
वो सूनी महफिल में आया एक जमाने बाद पायलिया ने रंग जमाया एक जमाने बाद. आंख बचाकर सपने सारे दूर कहीं उड जाते थे अबकि मिलकर वो शरमाया एक …
युग युग से हर मानव की यह राम कहानी लगती है सबको अपने आंगन की छांव सुहानी लगती है. पेडो की डाली पर मचली नन्हीं जन्गली चिडिया भी दादी …
अपने फन का बडा उस्ताद होता जा रहा है हर कोई बर्बाद वो आबाद होता जा रहा है. हर रात महंगी सुरा नोचता है बोटियां वो यहां इक खरा …
हर किसी के हाथ में है कहां एसा हुनर फूल की पत्ती से ही काटे पत्थर का जिगर. मोम के पुतले जीते हैं लडाइ सूर्य से बर्फ के बीच …
दर्द के अनुबन्ध सारे पक गये हैं चलते चलते पग हमारे थक गये हैं. भीड थी कल साथ भारी शोरगुल आज सारे बादलों से छट गये हैं. नींद के …
याद के दीपक बुझाये चल दिये इस तरह नजरे झुकाये चल दिये. रोये तमाम उम्र आंख में आंसू नहीं गम छुपाये मुस्कुराये चल दिये. खाक कर देगी रुह को …
रोयी तन्हा शाम तो सावन की बदली बन गई एक कन्कर जो गिरा सागर में हलचल मच गई. वक्त ने महका दिया है याद का गजरा कोई इस जमी …
हाथ सारा झनझनाकर गिर पडा वक्त से पंजा लडाकर क्या मिला. कर गया बर्बाद उसका क्या गया न्याय का दर खटखटाकर क्या मिला. हर घडी खुद से सवाल करता …
इस बस्ती में आग लगाई है गुमनाम मसीहा ने दिल में खूनी प्यास जगाई है गुमनाम मसीहा ने हाथ में माला आंख में खन्जर ओठों पर मोहक मुस्कान अबकी …
नई है सदी का सफर देखिये लहू को तरसती नजर देखिये. इरादे अपने अटल हैं मगर कहां टूटता है कहर देखिये. रिसालों में सबसे उपर छपेगी शहर मे है …
रात दिन पल पल गुजरते जा रहे हैं दिल मे हजारों दर्द पलते जा रहे हैं. जिनकी तमन्ना ख्वाब में भी नहीं थी खुद हमारे दर पर चलते आ …
इस कदर इतिहास के परचे बदलते जायेगें हर खरे इन्सान के चरचे बदलते जायेगें. अर्थ की कगार पर रिश्ते फिसलते जायेगें दिल बदलते जायेगें चेहरे बदलते जायेगें . कर्ज …
एक बार वाक प्रतियोगिता में मुझे विषय मिला मेरा प्रिय जीव. मैने सर को सहलाया और सादर फर्माया दुनिया भर का सताया हुआ सत्य मे अहिन्सा का धडा है …
मक्खी मच्छर स्वागत गायें उस दफ्तर का क्या कहना अफसर सारे गाल बजायें उस दफ्तर का क्या कहना. मर गये कलम बस घिस घिसकर फाइल को अर्पित नैन किये …
मुठ्ठी में बन्द जितनी रोटियां हैं सत्ता की तुरप और गोटियां हैं. पानी हमारा खून सांस उनकी हवा उनका मुहं है और हमारी बोटियां हैं फर्शी सलाम करते है …
वैशाखियों से पांव की फरियाद करते रह गये दलदलों से राह का आह्वान करते रह गये. प्रपंच की भाषा बहुत सम्पन्न भाषा बन गई जिन्दगी भर व्यर्थ ही अनुवाद …
मन को इतना अधिक रुलाया तन का दरिया सूख गया जिस दर्पण में चेहरा देखा वो दर्पण ही टूट गया. बून्द बून्द से भरा सरोवर और सरिताओं से सागर …
आदमी की सांस है आस का बसेरा है नित नई शाम है नित नया सवेरा है. बन्द मुठ्ठी में नये सपनों की महक हर कदम पर बिखरा रंग अब …