Author: Dr. Chandresh Chhatlani
इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आंच पर कड़ाही में रखे तेल की गर्माहट के साथ उसके हृदय …
हर साल की तरह इस साल भी वह रावण का पुतला बना रहा था। विशेष रंगों का प्रयोग कर उसने उस पुतले के चेहरे को जीवंत जैसा कर दिया …
लहरा के कहता है तिरंगा सब जवानों आज तो तुम्हें बचाना है अपनी भारत माँ की लाज को पी कर जिसके दूध को बने करमचंद से महात्मा भगतसिंह सुभाष …
मैं अपूर्ण हूँ, फिर भी मैं केवल मैं ही हूँ | स्वयम की स्वीकृति की साथ हूँ, लेकिन अपर्याप्त हूँ| मैं जानता हूँ कि वो निर्विकार मुझमे समाहित है …