Author: Bindeshwar prasad sharma
दोहे आई देखो दामिनी, चंदा लेकर साथ दिनकर भी मद्धिम पड़ा, अद्भुत है सौगात। नखत भी अब चमक रहा, जगमग है आकाश घूंघट के पट खोलकर, करता है अट्टहास। …
दोहे आई देखो दामिनी, चंदा लेकर साथ दिनकर भी मद्धिम पड़ा, अद्भुत है सौगात। नखत भी अब चमक रहा, जगमग है आकाश घूंघट के पट खोलकर, करता है अट्टहास। …
मुक्तक जिसे हंसना था, तूने रुला दिया खुशियाँ दे न सके गम में सुला दिया। उजाड़ दी ज़िन्दगी भला चंगा था इक पल में अपना रिश्ता भुला दिया। नफ़रत …
धीरे-धीरे विष्णुपद छंद – 16+10 अंत 2 दौड़ेगा तो थक जायेगा, धीरे – धीरे चल चलना ही तो जीवन है यह, दीपों सा तू जल। ठोकर भी गर लगे …
पत्थर पर भी दूभ उगेगा सार छंद – 16+१२ अंत 22 बहुत आगे बढ़ गई दुनिया, तुम देखो हम कितने तुम भी आगे बढ़ सकते हो, रोका तुमको किसने। …
दोकानहम न जननी ई पपिया, हैरान कइले बाहमरे घरवा के आगे, दोकान कइले बा।हम न जननी कि अतना, ई पागल करीहमरे दिलवा के ऐसे, ई घायल करी।अब अखिया के …
मनुष्य मनुष्य तामसी क्यों हो गयालालची, स्वार्थी हो गया।मनु का ये सुपुत्र भी होकरकैसे वह नार्थी हो गया।।हकीकत को जानता नहींसत्म को भी समझता नही।कौन इंसान कौन हैवानधर्म को …
वर्ण पिरामिड येबेटीवो बेटामाया जालदुनियादारीरिश्ते और नातेकुदरत की खेल।मैंहमहमारादाव – पेचधन दौलतसब यहीं का हैयहीं पर रहेगा।येरिश्तेचाहतनफ़रतमन का फेरकर्म – धर्म – मर्मकौन यहाँ समझा।येधराआकाशजल – अग्निवायु से बनानिर्जीव …
होरीखेलत फाग उमंग लिए मनझूमत तन ठहरी – ठहरीगाल गुलाबी रंग दिए तबडोलत सब गौंआ नगरी।ब्रज की नगरी धूम मचो हैमन मोहन खेलै होरीराधा भागी दौडी – दौड़ीश्यामा करै …
कोरोनान हाथ मिलाओ न गले लगाओकोरोना को अब दूर भगाओ।संक्रमित एक रोग है ऐसालगे तो गहरे सोग के जैसा।दुखों की घड़ी आई हम सब परउसको हम दूर करें सब …
हमारी सरकार क्या करेगी पैंतिस वर्ष पूर्व का लिखा अपना एक अनुभव आप सबों के सामने पटल पर रख रहा हूँ, जिसे मैंनें लिपिबद्ध किया है।राष्ट्र के नजर में …
Bindeshwar Prasad Sharma: विक्की की बहादुरीबच्चों की जिंदगी भी अजीब है । उनके अलग – अलग स्वभाव उन्हें अलग अलग क्षेत्रों में ले जाता है। जो पसंद आ …
Bindeshwar Prasad Sharma: प्रेयसीसाधु बाबा ताजी हवा खाने कुटी से बाहर निकले थे। अनायास गंगा किनारे रेत पर उन्हें एक सांप दिखाई दिया। उसे देखते ही साधु बाबा …
मूर्तिकारपंद्रह वर्ष का बालक हेमंत अब एक नामी – गरामी कलाकार बन गया था। मूर्ति कला में माहिर होने के साथ-साथ वह चित्र कला और संगीत कला में भी …
Bindeshwar Prasad Sharma: सरस्वती वंदनामैं अपने प्रतिज्ञान से माता, अवगत तुझे कराता हूँहो समर्पित चरणों में तेरा, अपना शीश झुकाता हूँ।हे महाश्वेता, हंसासना, चित्रगन्धा, तू नैना – भिरामतू …
ग़ज़लअपनी रज़ा में जीना दुश्वार लगता हैगिरेबान में झाँको तो बुखार लगता है।बड़ी दुष्कर है जिंदगी यकीं होता नहींफरेब इतना कि सब कुछ बेकार लगता है।जिधर भी हैं जाते …
जीवन दर्पनपरिंदों को छू लेने दो आकाशउन्हें हौसलों में जी लेने दोफतह कर लेने दोउन्हें उनकी अपनी मंजिल।पहुँच जानें दो चरम तकगतांक के आगे क्या हैसमझ लेने दो उन्हें।पंख …
फूल चमन कादिल से दिल को मिलाते चलोफूल चमन के खिलाते चलो।मत करना शरारत किसी सेमत करना शिकायत किसी से।अब ना सोचो कि जाए कहाँचल दिए हम हैं मंजिल …
गीत दिल खोल कर दिखाएं कैसेकुछ कह कर समझाएं कैसे।ऐसे – कैसे हम बतलाएंकहाँ – कहाँ पर ऐसे जाएं।मीठी बातों में बहलाकेअपनापन भी खूब दिखाएं।।इनका पता लगाएं कैसेकुछ कह …
ग़ज़लथोड़ा सा हंँसा कर, रूला दिया हमेंमुहब्बत किस काम की, भुला दिया हमें।अभी खुमार चढ़ा ही था, इन आँखों परअक़ीदा – ए- इश्क ने सुला दिया हमें।अब न होश …
प्यार के घरौंदे दिल की गहराई में उतर गये हैं हमअपनी तन्हाई से गुजर गये हैं हम। प्यार को प्यार से ही उसको समझा थाप्यार से प्यार में ही …
देखा है बचपन हमने कितना सुंदर कितना सुरभित,देखा चंदन वन हमनेसुंदर अनुपम निर्मल निर्भित, देखा है बचपन हमने। अब तो आया पैसों का युग, प्यार कहाँ से आयेगाक्षण भर …
बाबा तेरे चौखट पर बाबा तेरे चौखट पर, हाजिरी लगाने आए हैंकब तक मुझसे रूठोगे, हम तुझे मनाने आए हैं। हर दिन मनाने आऊँगा,हर इक पल तुझे रिझाऊँगाजो भी …
अंगड़ाई कल – कल करती बहती नदियां चलती सनन – सनन पुरवाई । झूम – झूम के हवा वसंतीलेती है खूब अंगड़ाई। वन-उपवन सब हरा भरा हैहंस रही देखो …
हाथ को हाथ रहने दोअभी तो साथ रहने दो।क्या होगा किसने देखाये मुलाकात रहने दो। नहीं ठीक गुमान रखना जुल्म ये घात रहने दो।सुकून – चैन मिले हमको मेरी …