तू जा रहा परदेस… baba saheb 15/04/2013 बाबासाहेब लांडगे 'सारथी' No Comments अपनी माटी की गंध छोड सनातन बंधे संबंध तोड अपनी नौका को अलग मोड तू जा रहा परदेस… माँ के आँचल की तज छाया भूला वह बचपन की आया … [Continue Reading...]
कर्तव्य का निर्माण baba saheb 24/01/2013 बाबासाहेब लांडगे 'सारथी' No Comments कर्तव्यों से भी बडे कर्तव्य है, उसी को निभाओ. बन्धनों मे बँधकर, वास्तविक जीवन का कर्तव्य न भूल जाओ. जीवन बना किसलिए? इसका उत्तर ढूंढ निकालो. जीवन की जो … [Continue Reading...]