Author: भारती शिवानी
आज बचपन जीया तो याद आ गया वो दोस्तों के साथ खेलना कभी रूठना, कभी मनाना वो घर-घर खेलना बात-बात पर एक दुसरे को मारना फिर रों देना एक …
बचपन शब्द सुनते ही, याद आ जाता है माता पिता का प्यार दादा-दादी का दुलार वो नन्ही नन्ही अटखेलियां भाई-बहन के संग खिलौंनों को लेकर मस्तियाँ क्या सभी का …
सादगी से दिल जीत लेते है, उसी सादगी से दगा दे देते है, छीन लेते है दोस्त (विश्वास) तुम्हारे, रह जाते हो तुम तन्हा बेचारे, खोजते हो नए दोस्त …
ज़िन्दगी की जदों-जहद, हमेशा चलती रहती है, खुशियाँ कम और दुःख ढेरों मिलते है, खुशियों के पलों को ढूंढना, एक बहुत बड़ी चनौती, बन जाती है, ग़मों के साथ …
ज़िन्दगी का फलसफा, बहुत आसान लगता है, ख़ुशी ओस की बूंद लगती है, दुःख रेगिस्तान लगता है, पत्ते पर ओस की बूंद, सूरज के उगने तक रहती है, हीरे …
जस्बा मोहबत का था, नफरत में बदल गया, साथ जन्मों का था, पल में झटक दिया, एक तीर ज़ुबान से निकला, दिल छलनि कर दिया. तोड़कर सब वादे, वो …
ये दुनिया रंग- बिरंगी है, हर रंग बदलते देखा है, गिरगिट से जल्दी, इंसान बदलते देखा है, दुःख का बोझ, दुसरे पर डालकर, खुशियाँ अपने अंदर, समेटते देखा है, …
चमचागिरी करना एक आर्ट है, होता इसमें कोई कोई सम्राट है, हंस कर अपना काम निकालना कुछ खिला-पिला के, बॉस को खुश रखना, कहाँ सबके बस की बात है, …
कहते है ख़ामोशी बोलती है, राज़ सारे दिल के, खोलती है, ख़ामोशी की जबान, समझना चाहता है कौन? ज़ख़्म पर मरहम, लगाना चाहता है कौन? बोलने वालों को, ही …
सावन सुनते ही, वो बारिश की बूंदें, मिट्टी की सुगंध, बादलों का गरजना, बिजली का चमकना वो डर जाना इन आवाज़ों से, रसोई से आती, पकौड़े की खुशबू हाथ …
ज़िन्दगी एक कशमकश है, झूझती हर वक़्त है, सवाल रहते है मन में कई, ढूढती जवाब हर वक़्त है, एक लड़ाई अपने साथ, एक लड़ाई अपनों के साथ, जीत …
जानते है हम, धरती सिमट रही है, मिट रही है, ये बिन मौसम बारिश, सुनामी का आना, भूकप से धरती का हिलना, संकेत है कि, संभलना है हमको| ये …
क्यूँ देते है हम मौका किसी को, हमे दुःख दे जाने का, हमे रुला जाने का, वो कोई और, नहीं होता, होता है बस, कोई अपना, चाहा होता है, …
गंगा की लहरों में, मस्जिद की सीढ़ियों पे, आवाज़ दब जाती है, मंदिर के घंटो में, मस्जिद की आज़ान में, खोजते है मुआल्वी पंडित, भगवान अल्लाह के मानने वालों …
चिलचिलाती धूप में, वो गर्म हवाओं की लू में, चले जा रहा हूँ सिर पर छाता नहीं, पैर में जूता नहीं, रुक जाता हूँ पेड़ की छांव में, दो …
एक शहर हिला, पूरी ज़िन्दगी हिल गई, कुछ उस हलचल में, छोड़ कर चले गए, रह गए कुछ , रोने के लिए, सपना देखा पूरी ज़िन्दगी का, पर क्या …
पेट की भूख, जीने की ज़रुरत मजबूर कर देती है, वो आराम से जीना, हर ज़रूरत का पूरा होना मजबूर कर देती है, बहुत है पैसा और पाने की …
बचपन में होता है माता पिता का साथ, स्कूल में बच्चे बन जाते है साथी, बढती उम्र में, साथ बदल जाता है, अरमान मनचल जाता है, वक़्त के साथ …
आई एक छोटी सी बच्ची, मुस्कुराती हुई, इठलाती हुई, कपडे थे उसके गंदे, नाक बह रही थी, फिर भी उसकी मुस्कुराहट में, यह सब बातें छुप रही थी, माँगा …
एक दिन एक शाम- बैठी आँखें मूंदे , ख्याल दौड़ गए बीते वक़्त में, सोचने लगी क्या खोया, और पाया क्या मैने. कौन रह गया, चला कौन गया, जिंदगी …
आज जीवन की एक सच्चाई पता चली, सादगी दिखा कर बेवकूफ बना लेते है लोग, आप ही के कंधे पर पैर रख कर, आप को दबा देते है लोग, …
एक छोटी नन्ही कली हूँ मैं, तेरे आंगन में खिली हूँ मैं, क्यूँ बाबुल तेरा आंगन छोड़ना पड़े, क्यूँ दूसरे आंगन को खिलाना पड़े, जब आती हूँ छम छम …
माथे पर थी सिलवटें बाल नहीं थे बनाये, आँखें थी पथराई, थी टिकटिकी लगाये, देख रही थी दरवाज़े की ओर, बैठी थी ऐसे जैसे अभी कहीं जाना है, आएगा …